उसकी आँखों का तारा हूँ मैं
उसकी आँखों का तारा हूँ मैं
इस आशा से
रोज लौटता हूँ स्कूल से घर
मेरी माँ कर देगी
मेरे सारे कठिन प्रशनों को हल
मेरी माँ का ह्रदय
फिर भी बहुत हैं सरल
मेरा रखती हैं ख्याल वह हर पल
खेल खेल में चोट मुझे लगती हैं
तो उसके चेहरे पर
दर्द आता है उभर
मै अक्सर
झूठ मुठ रोता इसीलिए हूँ
ताकि मेरे आंसूओं को मेरी आँखों से
हटाये उसका नरम आँचल
उसकी आँखों का तारा हूँ मैं
चाहती है मैं उसकी नजरों से
कभी न होऊं ओझल
kishor kumar khorendra
बहुत खूब !
कविता ने मुझे मेरी माँ की याद दिला दी .