गीतिका/ग़ज़ल

उन्वान तुम हो

तुम आ बसों जो मुझमे तो साँसे चल पड़े फिर से फ़क़त एक जिस्म हम मैं, मेरी जान तुम हो नहीं मालूम मेरा मज़हब मेरी जात क्या है बस इतना याद है मुझे कि, मेरी अज़ान तुम हो मैं इक खद हूँ गुमनाम हा शायद यहाँ मगर जानता हूँ मेरे खद की पहचान तुम हो […]

कविता

सावन

सावन भी  आया, और  आसमा में बदल भी  छाये| वो बिन बरसे ही घंटो आसमान पे  छाये रहे | मै बालकनी में खड़ा चाय की चुश्किया ले रहा था| मेरे 5 साल के भतीजे  ने पूछा कि चाचू ये बरस क्यों नही रहा?                           […]

गीतिका/ग़ज़ल

पहली सी वो महब्बत

हुई हो जैसे मुझे फिर से पहली सी वो मुहब्बत उसके तसव्वुर में मेरा आशिकों सा हाल क्यूँ है बस इक दफे उसने मुड़ के देखा मुझे,बस मुस्काई थी वो मेरे सब रफीकों के चेहरे पे फिर मलाल क्यूँ है बस नाम ही तो पूछा था उसका उसके कुचे में जाकर मेरे उसके ताल्लुकात पे […]

कविता

अभी अभी…

अभी अभी तो सुलगी है आग इश्क की अभी हम दोनों का इसमें जलना बाकी है अभी तो सफ़र ठीक से शुरु भी नहीं हुआ अभी एक उम्र तक चलना बाकी है अभी तो बस ज़ेहन में ख्याल है तुम्हारा तेरे ख्यालों का हसरतों में बदलना बाक़ी है अभी तो बस दिल को तेरे वजूद […]

गीतिका/ग़ज़ल

गुनाह

कि मेरी आरजूएं जब से गुनाह हुई है ये आँखे आंसुओं की ही पनाह हुई है दर्द मेरे अब कैसे सुनायेंगे अफसाना अपना अब तो बेअसर मेरे हर ज़ख्म की आह हुई है कदम अब उठते ही नही ज़मीं में गड़े जाते है जुदा जब से तुमसे, मेरी राह हुई है कुछ और न भाया […]

कविता

कारोबार

ख्वाबों का ये कारोबार जो मेरी रातें तुमसे करती है इक काम करना इन्हें तुम सुनो कभी बंद मत करना क्या पता शायद किसी रोज़ तेरे शहर तुमसे मिलने किसी रोज़ नया सौदा लेकर आ जाऊं आखिर तुमने भी तो ना जाने कितने शिकवे सहेज रखे होंगे अपनी खताएं छुपाने को ठीक वैसे ही जैसे […]

कविता

इश्क और अधृत!!!

किसी और के चुम्बन ने तुम्हे जानां मैं जानता हूँ रुलाया तो बहुत होगा रो रो कर अपने होंठो से उसके होंठो के निशाँ को तुमने मिटाया तो बहुत होगा आइना जब भी देखती होगी तुम जानां तुम्हारी आँखे भर सी आती होंगी आईने में खड़े शख्स ने भी फिर जानां तुम्हे रुलाया तो बहुत […]

गीतिका/ग़ज़ल

किसकी खातिर

देख कर वफायें उसकी, उसकी वफाओं पे मर गए मांग कर दुआएं मरने कि,ताबीर से मुकर गए| बेबस फिरती थी बेआस मेरी ये आँखें चेहरे दर चेहरे चाँद आया इक शाम गली में, इक चेहरे पे हम ठहर गए| अपने शब-ओ-रोज़ में उसने भी खुदा को पूजा तो बहुत होगा करके इक खता हम,एक चेहरे […]