क्षणिकाएं
इस सर्द मौसम में यादों को सहेजते सोचा कि … रिश्तों की फटी चद्दर पर स्नेह का पैबंद लगा दूँ
Read Moreसूरज के चहूँ ओर, घूमें धरती। वैसे ही तुम… मेरी हर रचना का, केन्द्र बिन्दु बन जाते हो। हर लफ्ज,
Read Moreकुदरत का न्याय कभी जंगलों में घूमने, कंदमूल पर जीवन निर्वाह करने, प्रकृति की पूजा करने वाला मानव, साइंस और
Read Moreपिता की मृत्यु के पश्चात, घर की तंगहाली और बडी़ होने का फ़र्ज़ निभाने की खातिर नौकरी करना स्वर्णा की
Read Moreघर में जगह की कमी लगने पर रोहन अपने वृद्ध पिता मोहन जी से बोला, “पिताजी, बच्चों की बोर्ड की
Read More