बाल कविता : चलो पेड़ को राखी बाँधें
पेड़ हमारे सच्चे साथी, माता – पिता गुरु जैसे हैं इनसे ही दुनिया मे जीवन, इनसे भी सच्चे रिश्ते हैं
Read Moreपेड़ हमारे सच्चे साथी, माता – पिता गुरु जैसे हैं इनसे ही दुनिया मे जीवन, इनसे भी सच्चे रिश्ते हैं
Read Moreवर्षा रानी फिर बादल के रथ पर चढ़कर आई देख दहकते सूरज जी को मंद – मंद मुस्काई | इंद्रधनुष का सतरंगी , परिधान पहन इठलाई , नीली छतरी के नीचे वह उमड़ घुमड़ कर छाई | गरज – तड़प कर के मेघों ने ऐसी धुने बजाई , खूब छमाछम नाची वर्षा , थिरके नदी तलाई | रिमझिम रिमझिम ठंडी बूंदों ने जब धार बहाई गर्मी सारी ठंडी पड़ गई , सहमे सूरज भाई | -– अरविंद कुमार ‘साहू’
Read Moreसुदूर दक्षिण स्थित केरल प्रांत के रामेश्वरम मे एक छोटा सा गाँव था , जहाँ मछुवारा समुदाय के अनेक लोग
Read Moreजून माह में ठंडक पड़ती नैनीताल में गर्मी की सब अकड़ निकलती नैनीताल में लखनऊ दिल्ली पैतालीस डिग्री में झुलस
Read Moreरामधन बहुत गरीब लेकिन अच्छे स्वभाव का व्यक्ति था | उसने एक साधु की खूब सेवा की | साधु ने
Read Moreएक सुबह फौजी चाचा , गए घूमने बागीचा , सुना वहाँ पर ये चर्चा , पड़ा रो रहा एक बच्चा
Read Moreईशा बड़ी ही नकचढ़ी लड़की थी | उसकी अपनी किसी भी सहेली से ज्यादा दिन तक पटरी नहीं बैठती थी
Read Moreनहीं हार से तुम घबराना , बस आगे ही बढ़ते जाना जितना हारो उतना सीखो , अपने को मजबूत बनाना
Read Moreएक गुरु का था एक चेला , चंचल ,चतुर और अलबेला | एक दिन गुरु चले देशाटन , सौंप गए
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