ख़ुदग़र्ज़ी”
ए जीव तू अहं की यात्रा पूरी करके आगे तो निकल आया, कितना बेखबर है अपनों का काफ़िला तो पीछे
Read Moreए जीव तू अहं की यात्रा पूरी करके आगे तो निकल आया, कितना बेखबर है अपनों का काफ़िला तो पीछे
Read More“आया फागुन होली लाया, रंगों की फूहार लाया हर मन नाचे झूम झूमकर, गुजिया के संग भांग लाया, तू भी
Read Moreरहना तुम सदा मेरे भीतर ऐसे रहती है पुतलियाॅं चुपके से नैन कटोरी के भीतर जैसे ओझल न होना अचानक
Read Moreकाॅलेज केन्टिन में सबसे अलग उदास और अपने आप में गुम बैठे अंश से उसकी दोस्त सिमोन ने कहा, “come
Read Moreवक्त की धुरी पर बहते दिन, हफ़्ते, महीने, साल अपनी रफ़्तार से गुज़र रहे है। हम सबको कहते सुन रहे
Read Moreकुछ लोगों को लगेगा कि महिलाएं आज कहां से कहां पहुंच गई ऐसे में इस विषय को उठाना निरर्थक है।
Read Moreहर तीसरी पोस्ट पर स्त्री विमर्श और स्त्रियों के हक में ही लिखा जाता है। उस लेखन के ज़रिए स्त्री
Read Moreआजकल ऑनलाइन शोपिंग और बाहर का खाना खाने का शौक़ हम लोगों पर कुछ ज़्यादा ही चढ़ा है, जिसकी वजह
Read Moreएक दौर था जब लोगों के दिल में रिश्तों की अहमियत हुआ करती थी, अपनों के बुरे वक्त पर दोस्त,
Read Moreक्यूँ कुछ लोगों की नज़रों में गृहिणी की कोई कीमत नहीं होती, क्यूँ ऐसा लगता है कि औरतें घर पर
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