आजकल धर्म अंधश्रद्धा और कट्टरवाद का दूसरा नाम है
मानवता धर्म है, भाईचारा धर्म है, प्रेम धर्म है परवाह धर्म है। पर आजकल धर्म की परिभाषा ही बदल गई
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Read Moreसारे मेहमान मस्ती में झूमते मज़े ले रहे थे, पर शादी के शोर के बीच दुल्हन के भीतर ही सन्नाटा
Read Moreसमाज में चल रहे पाखंड को देखकर लगता है, क्या हम सच में इक्कीसवीं सदी के आधुनिक युग में जी
Read Moreहर इंसान मुँह में सोने की चम्मच लेकर नहीं जन्मता। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सफ़र में खुद को
Read Moreकल एक रिश्तेदार से सुना, हम लड़की देखने जा रहे है! मैंने कहा मतलब? तो बोले, “अरे भै बेटे की
Read Moreऊँची मंज़िलों की रोशनी उनमें रहने वालों को मुबारक, एक मंज़िला मकान मुझे हर चीज़ से ज़्यादा अज़िज है। मेरे
Read Moreइक्कीसवीं सदी के आधुनिक युग में भी कुछ लोगों की सोच महिलाओं के लिए नहीं बदली। उनको लगता है सदियों
Read Moreसमाज में हमारा व्यवहार लेन-देन से चलता है। “एक हाथ दो, एक हाथ लो” हम बाज़ार में कुछ खरीदने जाते
Read Moreए औरत… तू खुद से प्यार करना कब सिखेगी? मुझे सब चलेगा उस बात से इन्कार करना कब सोचेगी? जब
Read Moreमैं राधा सी विराट नहीं बन सकती, जो अपने कृष्ण को गोपियों के संग उन्मुक्त होते विचरने की छूट दूँ।
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