क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 10/01/202412/01/2024 नींद इन आँखों में बैरी नींद न आई पूरी रात गुजर गई ख्वाबों में कुछ ऐसे ख्वाब जो पूरे न हुए Read More
कविता *ब्रजेश गुप्ता 08/01/202408/01/2024 मुसाफिर हम मुसाफिर तुम मुसाफिर दुनियां एक मेला यहाँ हम मिले तुम मिले मिलकर बिछड़ने के लिए तेरी राह कोई और Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 07/01/202407/01/2024 ठण्ड ठण्ड तो आलसी निठल्ले भरे पेट वालों के लिए है खाली पेट तो अल्ल सुबह ही निकल जाता है रोटी Read More
कविता *ब्रजेश गुप्ता 29/12/202329/12/2023 नया साल कुछ दिन रह गए बेसब्री से इंतजार नए साल का शायद कुछ नया लाये हर कोई कर रहा इंतज़ार रात Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 24/12/202328/12/2023 क्षणिकाएँ 1- तलाशता हूँ आज आदमी को आदमी न जाने कहाँ खो गया जिस चेहरे को भी देखता हूँ आदमी की Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 19/12/202319/12/2023 कमी हम में ही कोई कमी थी जो तुमनें किनारा कर लिया हमनें तो हमेशा तुम्हारी कमियों को स्वीकारा काश एक Read More
कविता *ब्रजेश गुप्ता 28/11/202328/11/2023 चाणक्य बहुत बदला है मैंने खुद को सीखा है ज़माने से सच खुल कर बोला नहीं करते मुँह पर जो कह Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 20/11/202320/11/2023 क्षणिका हमनें रोज बदलते देखा इंसा को उसके लहजे उसकी बातों को Read More
कविता *ब्रजेश गुप्ता 18/11/2023 इमारतें वह इमारतें जिन्हें बनवाया गया था बड़े चाव से अब वीरान सी खड़ी है मुद्दतों से जाने वालों के इंतज़ार Read More
कविता *ब्रजेश गुप्ता 18/11/202318/11/2023 मेहमान वक़्त का भी कैसा सितम मेहमान तो नहीं हाँ अपने बच्चें ही मेहमान बन त्योहारों पर आ रहे हैं. कुछ Read More