मैं मूर्तिकार
मैं मूर्तिकार,अपनी कृतियों मेंभावों को संजोता हूंँ lमिट्टी और रंगों के संगम सेनवकृति को जन्म मैं देता हूंँ lएक दिन
Read Moreमैं मूर्तिकार,अपनी कृतियों मेंभावों को संजोता हूंँ lमिट्टी और रंगों के संगम सेनवकृति को जन्म मैं देता हूंँ lएक दिन
Read Moreसामने वह जोएक लाल कोठी दिखती हैउसका रंगनिरंतर गहराता जा रहा है। क्योंकि,उसके अंदर का आदमीदूसरों का खून चूसदीवारों के
Read Moreमेरी तुम्हारी है एक ही कहानी।बेजुबान परिंदे, बंद पिंजरे में।गुटुर- गूं ,गुटुर -गूं कर अपनी पीड़ा जताते हो । मैं
Read Moreदो खपची से बनी काँवरईंटें,भट्ठे से मैं ढोता हूंँ ।पत्नी भी मेरी ईंटें ढोती ,दो रोटी खाकर सोता हूँ।। मेरा
Read More15 नुक्कड़ नाट्यकर्मीएक स्थानीय निवासीएक पागलएक छोटी बस्ती का विद्वानएक गुजरातीएक दक्षिण भारतीयएक सरदार अथवा पंजाबीएक पहाड़ीशेष आठ सामान्य नागरिकवेशभूषा
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