भुला गम ज़िन्दगी को नए सिरे से जीना सीखो देख वक़्त की नजाकत खुद को बदलना सीखो मिटा दिल की गहराईयों से नाम उस बेवफा का पलट कदम, नयी राह पर तुम चलना सीखो दे मीठी कशिश, दिखाता ख्वाब अपना बनाने के सब भुला, आँखों के आँसू को तुम पीना सीखो हटा उदासी के बादल, […]
Author: गुंजन अग्रवाल
आप सभी को “शिक्षक दिवस” की हार्दिक शुभकामनाएँ ,,,,
1 भटके हम गुरु पथ दिखाते मिटता तम । 2 मिटे अज्ञान गुरु महिमा न्यारी मिलता ज्ञान । 3 गुरु महान चलो तो पदचिन्ह होगा कल्याण । 4 पुण्य सार्थक मिला न गुरु ज्ञान हो निरर्थक । ……..गुंजन अग्रवाल
।। कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ ।।
1 सुन रे कान्हा दूंगी मै उलाहना न तू सताना । 2 प्रेम का पाठ पढ़ा गया छलिया राधा के साथ । 3 सूना पलना गोकुल बधाईयाँ जन्मा ललना । 4 टूटी बेड़ियाँ कारागार मुस्काया जन्मे कन्हैया । 5 बाँसुरी तान मुरली मनोहर बृज की शान । 6 राधा पुकारे द्वार द्वार भटके कृष्ण कहाँ […]
स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर कुछ हाइकु
वक़्त परिंदा वीर चूमता फंदा झूमा तिरंगा । टूटी है चूड़ी शहीद शहादत पग में बेड़ी । माटी के लाल सो गए माटी गोद माटी निहाल । मैली माँ गँगा भिखमँगा सपूत थामे तिरंगा ।
रक्षा बंधन विषयक हाइकु
ताकती द्वार बहन अश्रुधार भाई का प्यार । सजी कलाई हँस पड़ी अँखियाँ राखी जो आई । डाकिया आया राखी अक्षत रोली साथ है लाया । धागा है कच्चा मजहब न देखे रिश्ता ये सच्चा । रक्षा बंधन नोंकझोंक से भरा स्नेह बंधन । स्नेह अपार नोंक झोंक से भरा भाई का प्यार । बिटिया […]
~~~~आप के साथ~~~~
हूँ मुस्कुराती आज भी बेपनाह, उसकी यादों और बातों के साथ छोड़ दी उम्मीद उसकी आने की, जी लूंगी उसकी यादों के साथ । खुश हूँ ये जानकर कि तूने कभी, अपना हमदम तो माना था अफ़सोस महसूस नही कर पाती, तुझे कभी अपने आप के साथ । नहीं करती इंतजार उस सुखद पल का, […]
दो मुक्तक
हो गम की रात, आँखों ही आँखों में गुज़र जाने दो दर्द के दरिया को अपनी हद से गुजर जाने दो दिया उम्मीद का जीवन में सदा जलाए रखना बेरहम वक्त का भयावह तूफ़ान तो थम जाने दो । *************************************** अश्क बहे जब जब मेरे सावन की झरी भी शरमाई दरिया में बहते बहते राते […]
ग़ज़ल : प्यार की आस
बदले मौसम की तरह चल दिया वो किसी और की तलाश में करता था दावा खुश्बू की तरह बसने की जो हर एक सांस मे पहले कभी काली स्याह रात कटती थी बात बात में अब कटती नहीं रातें बैठी रहती उस बेवफा की आस में जो नहीं आता क्यूँ उसी का इंतजार करता है […]
ग़ज़ल : ****मेघा रे मेघा**********
उमड़ते घुमड़ते झूमते चले आओ रे मेघ उष्णता धरा की आकर बुझा जाओ रे मेघ प्यासी है धरा, बूँद बूँद जल को तरस रही कोख हो हरी धरा की, जम के बरसो रे मेघ कारे कारे बदरा दे रहे है बूँदों का प्रलोभन कण कण धरा का शीतल कर जाओ रे मेघ बरसो गगन से […]
चंद हाइकु
1 प्रत्येक बूँद अहमियत बड़ी आँखें न मूँद । 2 बुरी है अति क्रोध घमंड प्यार मरती मति । 3 अस्तित्वहीन झुलस गए रिश्ते शक से सुन्न । 4 सुन रे मीत बरखा का संगीत निभाओ प्रीत । 5 कराही धरा मेघ का मरहम ज़ख्म है भरा । 6 खामोश शब्द मृत संवेदनाएँ झरते नैन […]