गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 14/06/2022 ग़ज़ल चलना तो था मीलों तक, पर पहुंचे हैं, टीलों तक। गोल ज़मीं को ले आए, कोनों और नुकीलों तक। चकाचौंध Read More
गीत/नवगीत *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 12/02/2022 लो बसंत आ गया लो बसंत आ गया,,, डालियां महक रही, कोयलें कुहुक रही, झूम-झूम गीत गा, नवयोवना चहक रही, खुशियों का मेघ ये, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 05/02/2022 ग़ज़ल मुझसे खोया है या मिला जाने, है मेरे साथ या जुदा जाने। कब मिलेगी खुशी मेरे जी को, क्या है Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 23/01/2022 ग़ज़ल खुशनुमा ज़िंदग़ी नहीं होती। साथ ग़र दोस्ती नहीं होती। पूजते रब को पाप मन में रख, इस तरह बंदगी नहीं Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 16/12/2021 ग़ज़ल ज़िंदगी ना रही हादसा रह गया, जीने मरने का बस सिलसिला रह गया। कैदखाने में ग़म के यहाँ आज कल, Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 27/10/2021 ग़ज़ल जान, पहचान हो गई होगी। आन और शान हो गई होगी। कल तलक़ जो कठिन रही शायद, आज आसान हो Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 25/08/2021 ग़ज़ल बताते या इन्हें सबसे छिपाते, चीख पड़ते हैं, दिलों के राज़ जब लब़ तक हैं आते, चीख पड़ते हैं। मुहब्बत Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 27/07/2021 ग़ज़ल ख़ुद गुनाहों का मैं अपने फैसला हो जाऊंगा, ठीक उस पल ही बदी से मैं जुदा हो जाऊंगा। दर्द को Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 06/06/2021 ग़ज़ल सबसे बड़ा इस देश का सम्मान हुआ है। हिन्दू हुआ न कोई मुसलमान हुआ है। मरकर के देखी ज़िंदगी इक Read More
गीतिका/ग़ज़ल *जयकृष्ण चाँडक 'जय' 19/05/2021 ग़ज़ल आके ख़्वाबों में सताते हैं, चले जाते हैं। रोज़ यूँ नींद उड़ाते हैं, चले जाते हैैं। सोचकर क्या वे हमीं Read More