धनतेरस का पर्ब (परम्पराओं का पालन या रहीसी का दिखाबा )
आज यानि शुक्रबार दिनांक नवम्बर छह दो हज़ार पंद्रह ,आज के तीन दिन बाद को पुरे भारत बर्ष में धनतेरस
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Read Moreग़ज़ल(खुदा जैसा ही वह होगा) वक़्त की साजिश समझ कर, सब्र करना सीखियें दर्द से ग़मगीन वक़्त यूँ ही गुजर
Read Moreतुम भक्तों की रख बाली हो ,दुःख दर्द मिटाने बाली हो तेरे चरणों में मुझे जगह मिले अधिकार तुम्हारे हाथों
Read Moreजुमले , जनता और जनतंत्र शैतान ब्रह्मपिशाच आरक्षण जातिवाद चारा चोर नर भक्षी डी एन ए जैसे जुमलों के बीच
Read Moreग़ज़ल (जब चर्चा में रहे कोई) वक़्त की साजिश नहीं तो और क्या बोले इसे पलकों में सजे सपने ,जब
Read Moreग़ज़ल(मौत के साये में जीती चार पल की जिन्दगी) आगमन नए दौर का आप जिसको कह रहे वो सेक्स की
Read Moreग़ज़ल( जिंदगी) जिनके साथ रहना हैं नहीं मिलते क्यों दिल उनसे खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।
Read Moreग़ज़ल (ये क्या दुनिया बनाई है) मेरे मालिक मेरे मौला ये क्या दुनिया बनाई है किसी के पास सब कुछ
Read Moreग़ज़ल ( कैसे कैसे रँग) कभी अपनों से अनबन है कभी गैरों से अपनापन दिखाए कैसे कैसे रँग मुझे अब
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