कविता
हसीनों की महफ़िल से चुरा लाया। दिल में तुझे सदा के लिए बैठाया।। तुमने भी खुशी-खुशी समर्पित किया। न घबराई,न
Read Moreऊंचे-ऊंचे पर्वत की गोद से निकलता भुवन भास्कर सुनहरी उर्मियां छिटका कर बर्फीली पहाड़ों पर ऐसे चमकतीं,जैसे चांदी की चादर
Read Moreमेरे बालों के बीच एक रक्ताभ रेखा खींची है सिंदूर की,प्रतीक है मेरे ब्याहता होने की कहीं मंगलसूत्र पहना कर
Read More