कविता – सीता
जनकपुरी की बगिया में इक सुंदर सी कली खिली रंग गुलाबी होंठ लाल ये बात नगर में फैल गयी हल
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Read Moreबहुत समय पहले की बात है, चंदनपुर गाँव में जयवीर नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत दयालू, दानवीर
Read More(वियोग श्रृंगार ) *ओ मेरे चाँद आ जाओ* झलक दे दे के तड़पा ना कहाँ हो यूं न तरसाओ. हृदय
Read Moreसावन मनभावन सखी झूला पड़ गया डार | झूँक मुरारी दे रहे, बैठी है ब्रज नार || मेंहदी चूड़ी झूलना
Read Moreजला दे ज़िंदगी जो बिजलियाँ अच्छी नहीं लगती | बसेरों को मिटाती आँधियाँ अच्छी नहीं लगती | दिलों में प्यार
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