ग़ज़ल
122 122 122 122 कटी रात कैसे रवानी न पूंछो. ग़मे इश्क की कुछ कहानी न पूछो. सितम को बताते
Read Moreबहुत समय पहले की बात है, चंदनपुर गाँव में जयवीर नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत दयालू, दानवीर
Read More(वियोग श्रृंगार ) *ओ मेरे चाँद आ जाओ* झलक दे दे के तड़पा ना कहाँ हो यूं न तरसाओ. हृदय
Read Moreसावन मनभावन सखी झूला पड़ गया डार | झूँक मुरारी दे रहे, बैठी है ब्रज नार || मेंहदी चूड़ी झूलना
Read Moreजला दे ज़िंदगी जो बिजलियाँ अच्छी नहीं लगती | बसेरों को मिटाती आँधियाँ अच्छी नहीं लगती | दिलों में प्यार
Read Moreस्कूल चलें हम 💼✏️ टकटकी बांधे सलोनी की लड़की स्कूल जाते बच्चों को देखा करती l उसकी आंखों में स्कूल
Read More