/ मेरी भोली माँ /
पलंग पर बैठा मैं पुस्तक पढ़ रहा था। परीक्षाओं की तैयारी में कर रहा था। घंटी बजाते हुए एक ठग
Read Moreपलंग पर बैठा मैं पुस्तक पढ़ रहा था। परीक्षाओं की तैयारी में कर रहा था। घंटी बजाते हुए एक ठग
Read Moreसुख भोग से मदमस्त सोता नहीं हूँ मैं, सोता हूँ कल – कल की धार हूँ कूड़ा – कचरा नहीं
Read Moreस्याही की नीति जो है वही मेरे अंदर आग है रास्ते में दिया जलाकर चलता हूँ मैं यहाँ – वहाँ
Read Moreसमस्या नहीं, समाधान हूँ मैं उभरकर आता हूँ मानववाद के तत्व में, अंतश्चेतना के द्वन्द्व में मेरी अपनी चिनगारी है
Read Moreये नहीं जानते समानता का अर्थ अपनी भूख मिटाने की रोजी – रोटी की तलाश है धूप – छाह भूलकर
Read Moreसबके साथ समरसता लाते हुए आगे का कदम लेना सबसे बड़ा कठिन कार्य है मैं अनुभव करता हूँ कि हजारों
Read Moreविश्व चेतना के बीज हे मनुष्य ! अंकुरित होने दो तुम्हारे निर्मल चित्त में लहलहाती फ़सलों की सरसराने दो, स्वेच्छा
Read Moreधूप में चलता हूँ, सुख और आराम को त्यागकर कि मेरी यात्रा मानव की ओर है एक अच्छे समाज की
Read Moreजी नहीं सकता मैं अकेला जी नहीं सकते तुम अकेले जी नहीं सकता कोई अकेला इस मानव जग में चलना
Read Moreहंसनेवालों को हंसने दो यह नयी बात तो नहीं अपने रास्ते पर चलनेवालों को मैं फिसलता हूँ, गिरता हूँ लड़खड़ाता
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