/ मानवता के जग में …./
भक्त नहीं बनूँगा मैं किसी का और स्वीकार नहीं करूँगा कुटिल तंत्र के स्वामित्व का अंध परंपरा का अनुकरण अमानवीय
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Read Moreजन्म हुआ था, महार जाति में विकास हुआ था, विश्वनर के रूप में वर्ण के साथ, वर्ग के साथ, जाति
Read Moreसच कहना एक साहस है जाति के इस समाज में सच सुनना भी अपराध है अंध श्रद्धा के आवरण में
Read Moreईंट की तैयारी में मैंने पसीना बहाया है, दीवार बनाने में मैंने अपनी मांस पेशियां पिघला दी हैं, छप्पर, प्लास्टरिंग,
Read Moreआज हम वैश्वीकरण की दुनिया में हैं। वैश्वीकरण शब्द अँग्रेजी के ग्लोबलैजेशन शब्द का पर्याय शब्द है। यह दो शब्दों
Read Moreनहीं हूँ मैं किसी जाति या धर्म दंभी, मानता हूँ गुरू को सिर झुकाकर वंदना दिल से करता हूँ धन
Read Moreहोते हैं रास्ते विचारों में अनेक टेढ़े – मेढ़े, सीधे – साधे मिट्ठी, कंकड़ – पत्थर के हैं कहीं –
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