कविता

सुख – शांति की संकल्पना

काल की कठोरता हमें
बहुत कुछ सिखाता है
संकुचित भावजालों से
मुक्त होने का पाठ वह
बार – बार हमें पढ़ाता है
कोई नहीं बड़ा यहाँ तात
और न कोई छोटा जात
हरेक का होता है अपना
अलग महत्व इस जग में
ऊँच – नीच, जातीय दंभ
शोषण, दमन, अत्याचार
अमानवीय हरकतें सभी
होंगी चकनाचूर एक दिन
प्राकृतिक नियम है परिवर्तन
विकृति सारे जल जाएगी
मानव का मष्तिष्क भर जाएगी
भाईचारे की भव्य भावना से
शांति धम्म का अहसास होगा
मानव जग के कण – कण में
जीवन की नयी शुरुआत होगी।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।