विविधा विताशा
…. तो धर्मविहीन समाज के निर्माण में सादर सहयोग करें ! आप कैसे कवि हैं भाई ! ‘मुक्तिबोध’ को नहीं
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Read Moreकोई भी व्यक्ति, जो मानव होने का दावा करता है, वह धर्मनिरपेक्ष हो ही नहीं सकता है, किन्तु वह पंथनिरपेक्ष
Read More‘अभियंता दिवस’ यानी भारतरत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिवस पर अभियंता अनुज ‘मनु’ की कविता के प्रसंगश: हेत्वर्थ शुभकामनाएँ…. “कुकुरमुत्ते की
Read Moreइस कोरोनाकाल में अपने लंगोटिया यारा ‘संजू’ को जन्मदिवस पर यही शुभकामना दे सकता हूँ कि घर या बाहर सुरक्षित
Read Moreहिंदी के लिए शुक्ल पक्ष के आसार ! हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यतार्थ मैंने 2008 में ही सर्वोच्च
Read More1. मगरूर बहुत सुंदर हूँ मैं मगर दूर से… इश्क़ हूँ, कोई बुखार नहीं ! जो दवा से उतार
Read Moreमेरे दादाजी कहा करते थे कि उनके दादाजी ‘पलंग’ पर कभी नहीं सोये, दादाजी के पिताजी यानी मेरे परदादा भी
Read More‘आधुनिक हिंदी व्याकरण और रचना’ (23 वाँ संस्करण) में लिखा है कि हिंदी,हिन्दू और हिन्दुस्तान जैसे शब्दों को पारसियों ने
Read Moreआज हम चायवाले की हिंदी, खोमचेवाले की हिंदी, गोलगप्पेवाले की हिंदी के स्थायी और परिष्कृत रूप हो गए हैं ।
Read Moreश्री ओशो रजनीश रहस्यवादी दार्शनिक हैं, उनसे बेहतर प्रेम को कौन जान सकता है, तो आइए, उनके सहारे हम प्रेम
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