खतों से जुड़े अहसास
वह दौर जहाँ खतो से खैरियत पुछी जाती थी , खुशखबरी ली जाती थी । मजमून देख सब दिलों के
Read Moreवह दौर जहाँ खतो से खैरियत पुछी जाती थी , खुशखबरी ली जाती थी । मजमून देख सब दिलों के
Read Moreजीवन का रंगरास तुम्हीं से , तुम पर तन मन हारा है । सरल, सजल हृदय पर तेरे न्यौछावर जग
Read More1- तोड़ नेह के बाँध तुम, चले गये चितचोर । धधक रही अति वेदना,मचा हृदय में शोर ।। दावे सारे
Read Moreमैं धरा अधीर हूँ पीड़ित मन की पीर हूँ। सोखती हूँ हर व्यथा और जमा गई जो नीर हूँ ।
Read Moreज़िन्दगी गुजर ही जाती है पर अभी रश्मि को समझ नहीं आ रहा था कि जीवन का ये अंधेरा कैसे
Read Moreवो लेखिका नहीं थी… वो कवियत्री भी नहीं थी न जाने कब अपने भावो को सरल सहज आकार देने लगी
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