जन गण की आशाएं भी है
जन गण की आशाएं भी है जन मन की पीड़ाएं भी है दोनों की अपनी परिभाषा दोनों की अपनी मजबूरी
Read Moreजन गण की आशाएं भी है जन मन की पीड़ाएं भी है दोनों की अपनी परिभाषा दोनों की अपनी मजबूरी
Read Moreसत्य के उजाड हो गये झूठ के दरख्त फल गये वक्त की है मार देखिये चाँदनी में हाथ जल गये
Read Moreपरंपराओं के पालक हम, धर्म गये क्यूँ भूल भारती पूछ रही छोड देश हित हुए सभी क्यूँ, निज हित में
Read Moreदिल में दिल का दर्द दबाये एक ज़माना बीत गया मेरे होठों को मुस्काये एक ज़माना बीत गया आवाजें देती
Read Moreधर्म के बढते हुए व्यापार में आग ये कैसी लगी बाजार में जल गये रिश्ते बचा कुछ भी नही नफ़रतों
Read Moreकभी सवाल तो कभी जवाब जैसी है हमारी ज़िन्दगी खुली किताब जैसी है हुई नसीब रोटियाँ किसी को मुश्किल से
Read Moreऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन, ऐ वतन ऐ वतन ऐ वतन। तेरी पावन जमीं को नमन, तेरी पावन जमीं
Read Moreअगर दो पंख बेटी को छुएगी आसमां इक दिन कहेगा ये जहां सारा इसी की दासतां इक दिन भरेगी कल्पना
Read Moreजानता हूँ बहारों का मौसम नही वो अभी वो नही हम अभी हम नही मुश्किलें तो बहुत है मेरी राह
Read Moreबिता रहे क्यूँ व्यर्थ ही, चिंता में दिन रात। सभी चिता पर जायगें, केवल खाली हाथ॥ भाग रहा दिन रात
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