गीत/नवगीत

सत्य के उजाड हो गये झूठ के दरख्त फल गये

सत्य के उजाड हो गये
झूठ के दरख्त फल गये
वक्त की है मार देखिये
चाँदनी में हाथ जल गये

जोर जोर से चली हवा
दीप बुझ गया उम्मीद का
छुप गया झलक दिखा दिखा
क्यूँ न जाने चाँद ईद का
चाल जो समय बदल गया
पल में रिश्ते ही बदल गये…
वक्त की है मार देखिये
चाँदनी में हाथ जल गये…

जब से ज़िन्दगी की पीठ पर
आरजू सवार हो गयी
नफ़रतों की जीत हो गयी
ज़िन्दगी की हार हो गयी
देखते ही देखते यहाँ
धर्म आदमी को छल गये…
वक्त की है मार देखिये
चाँदनी में हाथ जल गये…

ठोकरें लगी तमाम पर
आदमी सम्हल नही सका
बात नेकियों कि की मगर
नेकियों पे चल नही सका
पुण्य के फले नही मगर
बाग पापियों के फल गये…
वक्त की है मार देखिये
चाँदनी में हाथ जल गये…

दर्द बे पनाह जो बढा
सब्र टूटकर बिखर गया
भावनाओं के बहाव में
फर्ज डूब डूब मर गया
सबका राज पास हो गया
सब नकाब खुद निकल गये…
वक्त की है मार देखिये
चाँदनी में हाथ जल गये…

सतीश बंसल
१८.०३.२०१७

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.