जगमग दीप जलाता हूं….
अंधकार के साये में जब, खुद को घिरता पाता हूं। तब मन में नव आशाओं के, जगमग दीप जलाता हूं॥
Read Moreअंधकार के साये में जब, खुद को घिरता पाता हूं। तब मन में नव आशाओं के, जगमग दीप जलाता हूं॥
Read Moreचीर कर इन घनघोर अंधेरों का सीना किरणें एक दिन आयेंगी जरुर,धीरज रख मुरझाई हुई कलियां एक दिन खिलेंगी मुस्काएंगी
Read Moreकुछ तुम घोटाला करो, कुछ हम घोटाला करें। आओ सब मिलकर, लोकतंत्र का मुंह काला करे॥ छोडो जमीर और नैतिकता
Read Moreचलो जला दें अहंकार को हर दुर्गुण हर दुर्विचार को इस जलते रावण के संग…. सत्य विजयी हर काल हुआ
Read Moreआतुर है सूरज, हर तम का सीना चीर निकलने को बांह पसारे हैं कलियां, किरणों का स्वागत करने को। सजने
Read Moreये खामोंशियाँ एक दिन गुनगुनाएंगी जरूर दिल में दबी हर बात, सुनाएंगी जरूर इन्हें इन्तजार है, किसी के कदमों की
Read Moreतुम जब से मिल गये हो, दिल में करार सा है। सब कुछ बदल गया है, हर और प्यार सा
Read Moreभोर होने को है, सपनें संजोने का वक्त नहीं है। आलस त्याग के अब उठ,जाग तेरे सोने का वक्त नहीं
Read Moreपत्थरों के साथ, यूं ना निबाह कर। तोड कर इनको, नई कुछ राह कर॥ हमनें देखा है, पिघलते पत्थरों को।
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