हम तेरे शहर में आयेगें एक खानाबदोश की तरह तेरे गलियों से गुजरेंगें अनजान मुसाफिर की तरह दीवाना हूँ में तेरा सनम जिगर मोहब्बत का थामा है दिल धड़कता है तेरे प्यार में जानम पहन प्रेमी पागल की ये जामा कहीं खो ना जायें हम तेरे इश्क के इस भूल भूलैया में कहीं पागल ना […]
Author: उदय किशोर साह
ये दुनियाँ गोल है
ये दुनियाँ गोल है नकली मीठे बोल है कोई किसी का नहीं है प्यारे सब पात्र के दोहरे रोल है ये दुनियाँ गोल है चरित्र का नहीं मोल है असली भी खोटा नकली से धोखा बेईमानों का झोल है ये दुनियाँ गोल है ईमान का नहीं तौल है दिल में काला घर बना है बहुरंगी […]
इस दीवाली में
सज गई बल्वों की रोशनी आज की इस दीवाली में भूल गये |मिट्टी के दीपक जो सजते थे कभी दीवाली में मिट्टी की दीये रूई की बाती शुभ शुभ लगता था थाली में घर घर दरवाजे पर जलती थी जगमग जगमग दीवाली में थाली में सजाकर अम्मा दादी जलाती थी घर के द्वारों में पाँच […]
बहती रहे उम्मीदों की धारा
बहती रहे उम्मीदों की धारा जब तक ना मिल जाये किनारा दरिया की भँवर जब जब डराये मंजिल पाये चैन कब आये बहती रहे उम्मीदों की धारा आशा बनी जीवन का सहारा हार ना मानना अय जीवन तूँ किश्ती ले चल बीच मंझधारा बहती रहे उम्मीदों की धारा लेकर ही रहूँगा मंजिल हमारा सपने जो […]
शीत ऋतु
वर्षा रानी की हो गई विदाई शीत ऋतु की मौसम है आई शबनम दूब पर गिरी शरमाई पछुवा हवा ले ठंडक आई खेत खलिहान में कृषि ने ली अंगड़ाई धान अरहर सरसों खेतों में लहलहाई चुनरी ओढ़ ठंडक जब जब है आई घर घर में निकलने लगी तब रजाई दूर पहाड़ों पर वर्फ की चादर […]
चाँद
अय चाँद जरा तुम नभ पे आ जाओ जग में अब अंधेरा बहुत छाया है चाँदनी की इन्तजार में यह जग अब घंटो से बैचेन हो बहुत घबराया है अय चाँद तुम जरा नभ पे आ जाओ तेरी चाँदनी सबको लुभाया है तेरी खूबसूरत बदन के सामने हर कोई ना टिक पाया है तेरी धरती […]
मैं फूल हूँ
मिट्टी चाहे कैसी भी हो पौधा बन कर निकल आता हूँ कीचड़ में भी पंकज बन कर मुस्कुराने की हिम्मत करता हूँ फूलों का राजा मैं गुलाब काँटो में भी जीना जानता हूँ लाख ठोंकरे दे ये जमाना मुस्कुरा कर जीने की संदेशा देता हूँ वन उपवन में हैं मेरा आशियाना माली मेरा अभिभावक है […]
जीवन की रचना जल से
सरिता का जीवन जल से जीवों का जीवन जल से फसलों का जीवन जल से जीवन की रचना जल से झरने का सरगम जल से नदियों का संगम जल से सागर का तन मन जल से जीवन की रचना जल से रंग बिरंगी बगिया जल से वनस्पति की दुनियाँ जल से मछली का जीवन जल से […]
गिर रही है निर्दोष की लाशें
लखीमपुर खीरी में क्या रखा है जाना है तो जाओ काश्मीर जहाँ गिर रही है निर्दोष की लाशें अल्पसंख्यक की फूट गई है तकदीर रोने का बहुत शौक है तो रो कर दिखा जिन अल्पसंख्यक् के घर पर आई विपदा आँसूं बहाने की झूठी राजनीति की निकल रही है सच्चाई की तेरी हवा वोट की […]
ले चल मुझे उस गाँव की ओर
अय हवा तुम बादलों की तरह ही मुझे भी बहा कर ले चल उस ओर जहाँ शांति पूर्वक जीवन बिता सकूँ ले चल मुझे उस गाँव की ओर इस जग में होता है भारी शोर कोलाहल अपराधियों का चल पड़ा है अति जोर हर शख्स एक दूजै का बना है दुश्मन बेईमानी अपहरण का चल […]