कविता

दिल की धड़कन

मेरे दिल की हर धड़कन ने
तेरा ही नाम सदैव पुकारा है
तुँ मेरी प्रेम कहानी की नायिका
हम तेरा प्रेम नगर का सहारा हैं

काली घटाओं से तुम पूछो
क्या क्या नखरें मैंने उठायें हैं
जब जब बसंत धरा पे आई है
हम तेरे लिये गीत गुनगुनायें हैं

कलियाँ जब चटखी थी गुंचे पर
भौंरा बन मैं  तब आया था
तुम नई नवेली कलियाँ थी चमन की
तेरे तन पर मैं मड़राया    था

उस माली को सलाम है मेरा
जिसने चमन में तुम्हें संवारा है
उस चमन का शुक्रगुजार हूँ मैं
जिनके गोद ने तुम्हें दुलारा है

आओ हम तुम आपस में घुल जायें
जैसे दो नदियॉ संगम पे मिलती है
मैं तेरी मोहब्बत में तुममें समां जाऊँ
जैसे आसमां पे बादल दिखती है

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088