मुझे घर जाना है
सुबह रवि की लालिमा फूलों पर फुदकती तितलियाँ अँधेरी बोली – मुझे घर जाना है I पथ पर चहल पहल
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Read Moreसुनो ना…. बुरा वक़्त जैसे ….. फ़टे जूते से निकली कील पैरों में चुभती है, जैसे …. हर मोड़ पर
Read Moreबिंदी पाई पागड़ी, स्वर हिंदी अभिमान क ख से ज्ञ तक वर्ण सभी, गुरुवर की पहचान गुरुवर की पहचान, चंद्र
Read Moreमैं भी जीना चाहता हूँ कुछ पल सिर्फ अपने लिए ….हाँ सिर्फ अपने लिए बस मैं ही मैं हूँ और
Read Moreमर्यादा के खातिर जिसने अपना घर कुर्बान किया राज्य हित के खातिर जिसने पति धर्म को त्याग दिया जो सीता
Read Moreतुझसे न दूर हो पाऊंगा सोचा था तुझे भूल जाऊंगा किसी ओर से दो बातें करके तेरी यादों से निकल
Read Moreकभी सपनों की खातिर तो, कभी अपनों की खातिर कभी पेट की खातिर तो, कभी लालच की खातिर बिक जाता
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