कविता : दीपों की अवली
रौशनी के त्यौहार में हम दीपों की अवली जलाएँ ! कुछ खुशियाँ और मुस्कान चलो बुझे चेहरों को हम दे
Read Moreरौशनी के त्यौहार में हम दीपों की अवली जलाएँ ! कुछ खुशियाँ और मुस्कान चलो बुझे चेहरों को हम दे
Read Moreसमस्त साहित्यकार मित्रों को दीपावली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ ======================================== जयकारी लिख छ्न्द पुनीत ,
Read Moreदिये की रौशनी में अंधेरों को भागते देखा अपनी खुशियों के लिए बचपन को रुलाते देखा। दीवाली की खुशियां होती
Read Moreमैं कैसे मनाऊँ दिवाली? जब वो खेल रहे है होली! मैं कैसे पटाख़े जलाऊँ? जब वो खून से बना रहे
Read Moreआंगन रोशन आज है क्यों जरा शहीदों की भी याद रहे । याद रहे हाँ याद रहे भारत वीरों की
Read Moreदीप जलाओ दीप जलाओ, मन अन्दर दीप जलाओ। अन्धकार को दूर भगाओ, चहुओर जोति फैलाओ॥ धूम मचाओ धूम मचाओ, आज
Read Moreइस बार दिवाली सीमा पर, है खड़ा मवाली सीमा पर। इसको अब सीधा करना है, इसको अब नहीं
Read Moreबह हमसे बोले हँसकर कि आज है दीवाली उदास क्यों है दीखता क्यों बजा रहा नहीं ताली मैं कैसें उनसे
Read Moreजलाओ दीप जी भर कर, दिवाली आज आई है। नया उत्साह लाई है, नया विश्वास लाई है।
Read Moreसफ़र जिंदगी का… काटे कटे न तुम बिन ! यादों में तेरी, हम पहरों मुस्कुराते हैं ! ! अजब सी
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