उलझनें दिल की
मेरे दिल की उलझनें कम नहीं हो रही हैं। ये मेरी आँखें नहीं ये मेरी वफ़ाएँ रो रही हैं। सोचा
Read Moreमेरे दिल की उलझनें कम नहीं हो रही हैं। ये मेरी आँखें नहीं ये मेरी वफ़ाएँ रो रही हैं। सोचा
Read Moreएक दिन मैं पार्क में सैर को आई कोई सहेली न देखकर कुछ-कुछ मुर्झाई मायूसी से अपने को अकेला जान
Read Moreरक्त से सनी दिखी है सेवो की भी डालियाँ भारती को दे रहे जो खुल्लेआम गालियाँ क्यों हम खड़े डरे
Read Moreगलियों में भटके चारे को, कूड़ा – कचरा सब खाए ! माँ की तरह पाले सबको, है गौ माता कहलाए
Read Moreमैंने माँ को नही देखा तश्वीर में बसी है मेरी माँ मेरा जन्म हुआ चल बसी मेरी माँ पापा कहते
Read More. एक मुक्तक . . . . . . बहुत ही याद आती हैं तुम्हारी प्यार की बातें । मुझे
Read Moreमुक्तक . . . दिल धडकने लगा जब तेरे नाम से , मैँने सोचा नहीँ कैसी सूरत तेरी । मन
Read Moreकिस किस नाम से नहीं पुकारा तुमने गिनने पर आऊँ तो गिन भी ना पाऊँ सच तो ये है…. कि
Read Moreशीर्षक मुक्तक , अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान शब्द आन बान अरु शान पर, बना रहे अभिमान अहंकार
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