कविता

माँ बिन अधूरी जिन्दगी मेरी

मैंने माँ को नही देखा
तश्वीर में बसी है मेरी माँ
मेरा जन्म हुआ
चल बसी मेरी माँ
पापा कहते है
वो मुझे बहुत चाहती थी
मेरे लिये सपने देखे थे उन्होने
उन सपनो को अधूरा छोड़
चल बसी मेरी माँ
मैंने अभी आँखे भी नही खोली थी
आँखे बंद कर सो गयी मेरी माँ
बहुत दूर चली गई
छोड़कर मुझे मेरी माँ
माँ की याद बहुत आती है
पापा कहते है
मेरी आदत माँ जैसी है
माँ की तश्वीर देख
आँखे भर आती है मेरी
बहुत याद करती हूँ माँ तुमको
तुम्हारे बिन अधूरी है जिन्दगी मेरी।
✍?शिवेश अग्रवाल ”नन्हाकवि” खिरकिया (म.प्र.)

शिवेश हरसूदी

खिरकिया, जिला हरदा (म.प्र.) मो. 8109087918, 7999030310