कविता

कविता

मुस्कुराने से फ़िज़ाएं मुस्कुराती हैं

मुस्कुराओ, कि मुस्कुराने से फ़िज़ाएं मुस्कुराती हैं, गुनगुनाओ, कि गुनगुनाने से बहारें गुनगुनाती हैं, मिला है जीवन जग में, कुछ

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