स्वाभिमान
मैं चारण और भाट नहीं हूं, जो दरबारों में शीश झुकाऊं। मैं सच को कहता लिखता हूँ, चाटुकारिता को न
Read Moreकभी कभी अंधेरी सुनसान रातों में , नींद आँखों से ओझल हो जाती है… और मन ही मन चल पड़ता
Read Moreक्यों कहते कुछ नहीं हो सकता? चाहो तो सब कुछ हो सकता, कोशिश तो करो मन से प्यारो, मत कहो
Read Moreमाँ से मिलने कब आओगे? चंदा मामा बोलो तो। यदि धागा रेशम का उलझा, आकर गाँठे खोलो तो।।
Read Moreअमित अमीत अधूत आज क्यों , मनमानी कर उतराये हैं ? समीकरण क्यों बदल रहे हैं, समदर्शी क्यों घबराये हैं
Read Moreमिड डे मील की व्यवस्था चल रहा है पूरे देश में इसमें बच्चों को मिलता एक वक्त का पौष्टिक आहार
Read Moreछंद- दुर्मिल सवैया (वर्णिक ) शिल्प – आठ सगण, सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा , 112 112
Read Moreवर्षा रानी तुझे बुलावा संसार मे आया है धरती सूखी, नदियाँ सूखी, नहरें सूखी आकाल है! जीवों का संसार है
Read Moreकोई पप्पू बुलाता है, कोई आऊल समझता है, मगर यूं मेरी नाकामी को पुरा विश्व समझता है। यूं कुर्सी दूर
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