स्मृति के पंख – 18
अनन्तराम के बड़े भाई किशोरी लाल मरदान में सिनेमा मैनेजर थे। उनसे हमने जिकर किया। एक तो उन्होंने वकील कर
Read Moreअनन्तराम के बड़े भाई किशोरी लाल मरदान में सिनेमा मैनेजर थे। उनसे हमने जिकर किया। एक तो उन्होंने वकील कर
Read More1994 में जनवरी माह में मैं एक पुत्री का पिता बना। मेरे एक पुत्र था ही। एक पुत्री और हो
Read Moreकुछ समय बाद सुशीला की मासी के लड़के गंगा विशन की शादी थी। उसने मुझसे कुछ मदद मांगी मैं उसे
Read Moreउन दिनों मैं पुस्तक लेखन पर अधिक ध्यान दे रहा था। घर पर कोई कार्य था नहीं, इसलिए प्रातः जल्दी
Read Moreवारस खान पार्टी का एक भरोसे मंद लड़का था। उसका बड़ा भाई नम्बरदार था और नवाब टोरू का कारिन्दा था।
Read More1993 में ही मैंने एक बार ताइक्वांडो सीखने का निश्चय किया। मेरे कार्यालय के एक कर्मचारी श्री संजीत शेखर का
Read Moreगढ़ीकपूरा में एक संत रहा करते थे। उनकी रिहायश ऊपर छत पर कमरा में थी। नीचे सेवादार मौजूद रहता था।
Read More1993 का वर्ष हमारे लिए लगभग सामान्य रहा। मैं आर्थिक चिन्ताओं से मुक्त था और अपनी पत्नी तथा 2-3 साल
Read Moreअब दुकान की हालत फिर से ठीक होने लगी। कुछ दिन बाद एक रात को बरकत (यह सकीना की बड़ी
Read Moreवाराणसी में मेरा संघ से सम्पर्क प्रारम्भ में ही हो गया था। वास्तव में मैं सबसे पहले गोदौलिया के संघ
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