स्मृति के पंख – 13
उन सब लड़कों के अक्सर बाहर से मुलाकाती भी आते रहते और घर से पार्सल भी आते रहते। लेकिन इतने
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Read Moreरातभर आनन्द से सोने के बाद हम सुबह जल्दी उठकर गाड़ी पकड़ने भागे। ठीक समय पर गाड़ी आ गयी और
Read Moreरात को मुझे बुखार हो गया। मैंने वार्डन को बुलाकर कहा, लेकिन उसने कोई परवाह नहीं की। सुबह मैंने सुखनजी
Read Moreउसी वर्ष अर्थात् सन् 1992 की गर्मियों में नदेसर (वाराणसी) में हमारी कालोनी से सटी हुई राजा नदेसर की कोठी
Read Moreमुझे तो कोई तकलीफ न थी, लेकिन शाम को जब भ्राताजी को आते देखता सर पर आटा उठाये, तो बड़ी
Read Moreसन् 1992 के अप्रैल माह में श्रीमतीजी की मम्मीजी ने अपनी सभी बेटियों और दामादों के साथ वैष्णो देवी की
Read Moreजब सोना 20-22 रू0 तोला था, पोंड की सरकारी कीमत थी 15 रुपये। अंग्रेज लोगोें की कोठी पर चैकीदार रात
Read Moreराम मंदिर आन्दोलन में मेरे विचारों के प्रकाशन के दौरान मेरे कई नये मित्र बने। उनमें दो नाम विशेष रूप
Read Moreहमारे साथ के मकान वाले भी कपूर थे। लाला हरीचन्द और गोकुलचन्द। लेकिन हमारे विचारों में बड़ा अन्तर था। वो
Read Moreउन दिनों श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन पूरे जोर-शोर से चल रहा था। राष्ट्रवादी विचारों का कार्यकर्ता होने के नाते मैं आर्यसमाजी
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