मेरी कहानी 172
कारनैक टैम्पल हम ने देख लिया था और यह टैम्पल सब से मशहूर टैम्पल है और इस में रात के
Read Moreकारनैक टैम्पल हम ने देख लिया था और यह टैम्पल सब से मशहूर टैम्पल है और इस में रात के
Read Moreवैली ऑफ दी किंग्ज देख कर हम कोच में बैठ गए। भूख सब को लगी हुई थी। अब कोच यहाँ
Read Moreसुबह उठ कर तैयार हुए और ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग रूम में आ गए। ब्रेकफास्ट हमेशा सैल्फ सर्विस ही होती
Read Moreबर्मिंघम से लुक्सर कोई छै घंटे का सफर था। यह वक्त खाने पीने और मैगज़ीन अखबार पढ़ने में ऐसे बीता
Read Moreसच्ची बात तो यह है कि मुझे इतिहास से लगाव तो बहुत रहा है लेकिन इतिहास को अछि तरह से
Read Moreमैं और गियानी जी उठ कर गियानी जी के कमरे में आ गए। यह कमरा घर का फ्रंट रूम ही
Read Moreहिन्दू आतंकवाद का आरोप जनवरी 13 में नवभारत टाइम्स (नभाटा) के ब्लॉग पर मैंने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था-
Read Moreबड़े गुरूजी ! जी हाँ ! हम लोग उन्हें बड़े गुरूजी ही कहते थे । तब हम कक्षा तीसरी के विद्यार्थी
Read Moreदिन मज़े से गुज़र रहे थे। ऐरन को स्कूल ले जाना और स्कूल बन्द होने पर उस को ले आने
Read More