संस्मरण

मेरी कहानी 172

कारनैक टैम्पल हम ने देख लिया था और यह टैम्पल सब से मशहूर टैम्पल है और इस में रात के समय साइट ऐंड साउंड शो भी होता है जो हमारी हॉलिडे पैकेज में नहीं था लेकिन हम ने सोच रखा था कि जिस दिन हम को अवसर मिला, जरूर इसे देखने जाएंगे। अब हम बाहर घूमने चल पड़े। नज़ारा बहुत सुन्दर था। एक तरफ दाईं ओर कुछ नीचे दरियाए नील के किनारे बोटें ही बोटें दिखाई दे रही थीं तो दुसरी तरफ लोगों की चहल पहल अछि लग रही थी। एक बात थी कि कोई ना कोई आ के हमें पूछने लगता,” यू वांट फ्लूका ?”, या कोई कुछ बेचने वाला हम को घेर कर खड़ा हो जाता और कुछ खरीदने की मांग करता, कभी कोई टाँगे वाला आ जाता और शहर का कोई मौनूमैंट दिखाने को बोलता लेकिन एक बात थी कि कोई भी भिखारी नहीं था। अभी तक हम लुक्सर टाऊन के भीतर नहीं गए थे, शाम की सैर के लिए यह फुटपाथ ही काफी था क्योंकि खाने और पीने की दुकाने तो यहां ही बहुत थीं जो इस फुटपाथ के नीचे ही एक तरफ बनी हुई थीं। बिदेशी लोग कैमरे लिए हर तरफ घूम रहे थे । कई खाने पीने की दुकानों पे इंग्लिश गाने बज रहे थे। कुछ आगे गए तो हम हैरान हो गए कि एक बियर की दूकान पर उस वक्त का एक प्रसिद्ध पंजाबी गाना बज रहा था,” तू हुणे हुणे होई आं जवान, मुंडियां तों बच के रहीं “, जसवंत हंस पड़ा और बोला, ” कहीं किसी सिंह की दूकान तो नहीं ?”, दूकान फुटपाथ के नीचे थी। रैम्प के ज़रिये जो ढलान जैसी सड़क ही थी,हम फुटपाथ से नीचे उतरने लगे। यहां कोई सात आठ दुकानें थीं जो ज़्यादा बीअर बार ही थीं। एक दूकान पर हमारी बोट के ही कुछ गोरे बीअर पी रहे थे, पंजाबी गाना यहां ही बज रहा था। हम भी वहां ही बैठ गए। एक लड़का आया और हम से आर्डर ले गया और कुछ ही मिनटों में हमारे आगे स्टैला बीअर की दो बोतलें और ग्लास रख गया। यह बीअर इंगलैंड में भी मिलती है लेकिन बोतल के लेवल पर पड़ा तो यह इजिप्ट की ही बनी हुई थी। हमें बताया गया था कि इज्प्शिन लोग खुद बीअर शराब नहीं पीते, सिर्फ टूरिस्ट लोगों को ही बेचते हैं। कोई छुप कर पीता हो तो बात और है लेकिन इस्लाम में शराब नोशी की मनाही है।
हमारे टेबल पर दो गोरे और उन की पत्नियां ही थीं, होंगे कोई हमारी उम्र के लेकिन काफी फ्रैंडली थे। बातें कर ही रहे थे कि हम ने दो इंडियन औरतों को आते देखा, जो कोई होगी चालीस पैंतालीस की। कुछ झिझकती झिझकती वोह हमारी तरफ ही आ रही थीं। अपने देश का बंदा अचानक किसी दूसरे देश में मिल जाए तो ख़ुशी मिल ही जाती है। जसवंत ने उन्हें हैलो कहा और वोह भी कुर्सियां ले कर हमारे टेबल पर ही आ गईं। पता चला कि वोह भी इंग्लैंड से ही थीं और दोनों सखियाँ हॉलिडे के लिए ही आई हुई थीं। इंगलैंड की पढ़ी लिखीं लड़कियां और अछि नौकरी पर थीं। उन्होंने अपने लिए कोक ले लिए और बातें होने लगीं। जैसे अक्सर होता ही है कि तुम कहाँ रहते हो, एक दूसरे को हम ने भी पुछा तो उन्होंने बताया कि वोह लैस्टर की रहने वाली थीं और गुजराती थीं। लैस्टर गुजरातियों का घर ही कहा जाता है। जब ईदी अमीन ने हमारे लोगों को यूगांडा से चले जाने का अल्टीमेटम दे दिया था तो ज़्यादा गुजराती लोग इंगलैंड में आ कर लैस्टर में ही सैटल हुए थे। जब हम ने अपने शहर का नाम लिया तो एक लड़की ने बताया कि उस के रिश्तेदार हमारे शहर में थे। उस ने नाम बताया तो मैंने उस से पुछा कि वोह बस ड्राइवर तो नहीं था ?, जब उस लड़की ने हाँ कहा तो मैं बोल पढ़ा कि वोह तो मेरा दोस्त था । लड़की खुश हो गई और उस ने बहुत सी घर की बातें बताईं और यह भी बताया कि वोह अब इस दुनिआं में नहीं हैं। मैंने बोला कि मुझे सब कुछ पता है और मैंने उस का फ्यूनल अटैंड किया था जो टेलफोर्ड शहर में हुआ था। उस के फ़िऊन्रल पर हमारे काम से ड्राइवरों की दो बसें भर कर गई थीं और उस के बड़े लड़के ने अपने पिता जी को एक खत पढ़ कर आख़री विदायगी दी थी। इस खत को सुनते सुनते सभी रो पड़े थे।
मेरे इस दोस्त का पूरा नाम तो शायद किसी को भी नहीं पता था लेकिन सभी उस को N D PARMAAR के नाम से ही जानते थे और बुलाते उसे एनडी कह कर ही थे । उस का एक तकिया कलाम होता था, बैह. चो. , अरे एनडी किया हुआ ? जब कोई पूछता तो वोह बोलता, होना किया था, मैं बै . . चो…. लेट हो गया। उस की इस बात पर सभी हंस पढ़ते थे। एक बात थी, दिल का बहुत ही अच्छा था। उस का इरादा अर्ली रिटायेर्मेंट लेने का था। उस ने स्पेन के शहर बैनिडोम में जो समुन्दर के किनारे पर है, एक प्लाट खरीद लिया था और उस पर एक मकान बनना शुरू हो गिया था। जब भी मुझे मिलता, कहता,” बामड़ा ! बहुत साल काम कर लिया है, अब मज़े करने का वक्त आ गया है, तू भी छोड़ यह काम और मेरे साथ स्पेन चल “, वोह मुझे बामड़ा कह कर बुलाता था। उस का मकान बन गया था और कभी कभी दोनों मिआं बीवी बेनीडोम रहने चले जाते थे। एक दिन वोह समुन्दर में लहरों के साथ मज़े कर रहा था कि वहां ही उस की मृतु हो गई थी । इस का किसी को पता नहीं लगा कि क्या हुआ था, कुछ लोग कहते थे कि उस को हार्ट अटैक हुआ था, कुछ कहते थे कि लहरों में डूब कर रह गया। कुछ भी हो, एक अच्छा दोस्त हम से बिछुड़ गया था। इस लड़की से मैंने एनडी की काफी बातें कीं। लड़कियों ने अपने होटल का नाम बताया। जसवंत ने उन को बताया कि क्रूज़ बोट में यह हफ्ता गुज़ारने के बाद हम होटल विंटर पैलेस में आ जाएंगे। बातें करते करते बहुत वक्त गुज़र गया था। उन दोनों लड़कियों को गुड़ नाइट बोल कर हम अपनी क्रूज़ बोट की तरफ चल पड़े क्योंकि रात के खाने का वक्त हो गया था।
दस मिंट में ही हम बोट में पहुँच गए। सभी लोग बार में ड्रिंक का लुत्फ ले रहे थे और एक दूसरे से हंसी मज़ाक हो रहा था। कुछ देर के लिए हम भी बैठ गए और बातें करने लगे। कुछ ही देर बाद खाने का इछारा हो गया और सभी डाइनिंग हाल में आ कर अपने अपने टेबलों पर विराजमान हो गए। बुढ़िया और उस की बेटी अनीता वहां अपनी सीटों पर बैठी थीं और अब खुल कर बातें होने लगी थीं। बातों बातों में ही मैंने उस को पुछा,” अनीता ! मुझे तुमारी कलाई पर हिंदी में कुछ लिखा देख कर हैरानी हो रही है, यह कहाँ लिखवाया था, तुझे इस के अर्थ मालूम हैं ?”, तो अनीता बताने लगी कि वोह नेपाल जाती रहती है, उस का बोये फ्रैंड भी वहां जाना पसंद करता है, वहां बहुत से बुधिस्ट टेम्पल हैं और उन धर्म गुरुओं से मिलना उन का शौक है। वहां ही उस ने यह टैटू बनवाया था लेकिन इस के अर्थ उस को मालूम नहीं थे । बातों बातों में हम ने जाना कि अनीता के विचार कुछ धार्मिक और वहमी किसम के थे। अनित्य के अर्थ तो मुझे भी सही पता नहीं था लेकिन फिर भी अपनी समझ के मुताबक मैंने अनीता को बताया कि अनित्य के अर्थ हैं कि इस संसार में कुछ भी हमेशा नहीं रहता, इस लिए इस संसार में अछे काम ही करने चाहियें । अनीता यह सुन कर बहुत खुश हो गई और कहने लगी कि वोह अपने बोये फ्रैंड को बताएगी। अब अनीता ने वेटर को एक वाइन की बोतल का आर्डर दे दिया और जल्दी ही वेटर एक बोतल खोल कर दो ग्लास उन दोनों के सामने रख गिया और वोह दोनों मां बेटी पीने लगीं। उन को देख कर जसवंत ने मुझे पुछा तो मैंने हाँ कह दी और जल्दी ही वेटर हमारे आगे पीच वाइन की बोतल रख गिया। सारे टेबलों पर गोरे गोरीआं ड्रिंक ले रहे थे और ऊंची ऊंची हंस रहे थे।
अचानक हम ने देखा, कि कुछ वेटर जिन में एक वेटर के हाथ में एक केक था, जिस पर मोम बतियाँ लगी हुई थीं और इंग्लिश गाना गाते हुए एक टेबल की ओर जा रहे थे। जब उस टेबल पर पहुंचे तो एक गोरी को हैपी बर्थडे कहने लगे। गोरी कुछ हैरान सी हो गई क्योंकि उस के पति ने ही बीवी को सरप्राइज़ दिया था। अब तालिआं बजने लगीं। कुछ देर हैपी बर्थडे टू यू होती रही और फिर साधाहरण बातें करने लगे। जसवंत हंस कर बोला,” मामा ! होता यहां किसी पंजाबी का बर्थडे तो यहां ढोल बजता और भंगड़ा डांस होता “, मैं भी हंस पड़ा। अनीता और उस की माँ हमारी तरफ देख रही थीं। जसवंत ने उन को इंग्लिश में बताया तो वोह भी हंस पड़ीं और अनीता ने बताया कि उस ने अपनी इंडियन क्लास फैलो की शादी अटैंड की थी और यह बहुत कलरफुल शादी थी। खाना खा लिया था और धीरे धीरे लोग उठने लगे। हम भी उठ गए और कुछ देर अपने कमरे में आराम किया, कुछ देर ताश खेलते रहे और फिर उठ कर हाल में आ गए। हाल में एक अरबी मियुज़िकल ग्रुप आया हुआ था और वोह कुर्सीयों पर बैठे अपने साज़ सुर कर रहे थे। दो बड़े बड़े एम्प्लीफायर थे। एक के गले में एकॉर्डियन था, एक के सामने तीन लंबे लंबे ड्रम थे, एक के हाथ में बड़ी सी डफली थी और एक लड़की थी जो जीन पहने हुए थी। कुछ ही देर में उन्हों ने मयूज़िक चालु कर दिया। ना समझते हुए भी, यह मयूज़िक हमें बहुत मज़ेदार लग रहा था। कोई आधा घंटा यह मयूज़िक बजता रहा, फिर अचानक वोह ही लड़की जो जीन पहने हुए थी, बहुत खूबसूरत अरबी ड्रैस पहने हुए डांस फ्लोर पर आ गई और बैली डांस करने लगी। ऐसी ड्रैस हम तो पुरानी महींपाल की फिल्मों में देखा करते थे। चारों तरफ से कुछ रंगों की रौशनी उस पर पढ़ कर उस की ख़ूबसूरती को चार चाँद लगा रही थीं। ड्रम की ताल पर उस के अंगों की हरकत उस को और भी सुन्दर दिखा रही थी। जब डांस ख़तम हुआ तो सब ने भरपूर तालियां बजाईं। कुछ देर बाद धमाकेदार मयूजिक फिर शुरू हो गया और वोह लड़की फिर नृत्य करने लगी। भले ही यह डांस भारतीयों के लिए कुछ अश्लील लगे लेकिन ऐसा कहना बहुत गलत होगा क्योंकि जैसे भारत में औरतें क्लासिकल डांस करती हैं, इसी तरह यहां बैली डांस होता है और यह डांस बचपन से ही लड़कियां सीखने लगती हैं। जैसे हमारे देश में डांस इंडिया डांस शो में मुकाबले होते हैं, इसी तरह अर्ब देशों में मुकाबले होते हैं, जिस में बड़ी औरतें तो भाग लेती ही हैं लेकिन छोटी उम्र की लड़कियां भी भाग लेती हैं। जैसे पहले मैं लिख चुक्का हूँ कि मैं मास्टर किसी भी चीज़ में नहीं हूँ लेकिन कुछ कुछ हर बात को समझने की कोशिश करता हूँ। इस सारे डांस की मैं वीडियोग्राफी भी कर रहा था जो बैटरी ख़तम हो जाने की वजह से चालीस पैंतालीस मिंट की ही बना सका था। मैं बहुत ही धियान से ड्रम की ताल और लड़की के अंगों की थिरकन को समझ रहा था। जो ड्रम थे, उन के नाम तो मुझे पता नहीं है लेकिन इन की आवाज़ कुछ कुछ तबले और कुछ कुछ म्रदंग की आवाज़ जैसी थी।
इस लड़की ने जो बैली डांस किया, वोह अभी तक मुझे अछि तरह याद है। यह मयूजिक और डांस शायद इस लिए भी बहुत अच्छा लग रहा था, क्योंकि भार्तीय संगीत और नृत्य से ८०% मिलता था। कोई कुछ कहे, मुझे तो यह डांस और संगीत बहुत अच्छा लगता है और अभी भी कभी कभी यू ट्यूब पे देखता रहता हूँ। हर डांस के खात्मे पर गोरे गोरीआं भरपूर तालियां बजाते। अब कल रात को अरेबियन नाइट्स का प्रोग्राम होना था, इस लिए यह प्रोग्राम देख कर इंतज़ार का उत्साह और बढ़ गया। कुछ देर के लिए यह डांस बन्द हो गया और कलाकार चाय पीने लगे। सब लोग बियर और वाइन के ऑर्डर दे रहे थे और इजिप्शियन युवा लड़के बड़ी फुर्ती से सर्व कर रहे थे। मैं लिखना भूल गया कि हमारी क्रूज़ बोट हमेशा दरया नील में चलती रहती थी, सिर्फ उस दिन ही एक जगह खड़ी होती थी, जिस दिन हम ने कहीं बाहर जाना होता था। जब हम बोट में आ जाते, बोट आगे चल पड़ती थी। इस का कारण यह है कि जितने भी पुराने खंडरात हैं, वोह ज़्यादा नील दरिया के नज़दीक बने हुए हैं। जब बोट चलती थी, तो पता ही नहीं चलता था कि यह चलती थी या खड़ी थी। सिर्फ ऊपर जा कर ही पता चलता था कि हम दरिया में चल रहे हैं। जब ही कोई नए खंडरात देखने होते थे, उस जगह बोट खड़ी हो जाती थी। बोट बहुत धीरे धीरे पंदरां बीस मील की स्पीड से ही चलती थी, इस लिए पता ही नहीं चलता था कि हम खड़े हैं या चल रहे हैं। दिन के वक्त जब ऊपर बैठे हम धुप का मज़ा ले रहे होते तो बोट चलती रहती थी और हम दोनों तरफ के नज़ारे देखते रहते थे। कभी कभी दरिया के किनारे बच्चे बैठे होते थे जो हम को हाथ से बाई बाई करते थे। यह भी बताना जरूरी होगा कि जो अमीरी, होटलों को देख कर महसूस होती थी, शहर के बाहर बिलकुल दिखाई नहीं देती थी। दरिया नील की दुसरी ओर कहीं कहीं गाँव दिखाई देते थे जो बिलकुल हमारे देश जैसे थे और वहां गाये भैंसें भी दिखाई देती थीं। गरीबी साफ़ दिखाई देती थी। कहीं दरिया नील के किनारे मोटर पम्प लगे हुए थे जो खेतों को पानी देने के लिए फिट किये गए मालुम होते थे। इस से समझ आ गया था कि जैसे हमारे देश में गरीबी अमीरी है, यहाँ भी वैसा ही था।
लोग ड्रिंक पे रहे थे और अब एक और लड़की डांस फ्लोर पर आ गई। मयूजिक शुरू हो गया और यह नई लड़की एक धुन पर नृत्य करने लगी। यह तो कहना मुश्किल होगा कि इस लड़की का नृत्य पहली लड़की से बेहतर था लेकिन यह लड़की एक नई धुन पर नृत्य कर रही थी और यह एक नए अंदाज़ में एक तलवार को मुंह से पकड़ कर डांस करने लगी। यह खतरनाक भी लग रहा था लेकिन अच्छा भी लग रहा था। इस लड़की का डांस मैं रिकार्ड कर नहीं सका क्योंकि बैटरी डैड हो गई थी। इस लड़की के डांस के बाद एक लड़का आया जिस के सर पर एक चौड़ी टोपी थी जिस की पिछली और एक कोई एक फुट रिबन लगा हुआ था। इस की ड्रैस कुछ अजीब सी थी। इस ने घागरे जैसी ड्रैस पहनी हुई थी, जैसे स्कॉटिश लोग किल्ट पहनते हैं। मयूजिक शुरू हो गया और यह लड़का घूमने लगा। आम तौर पर अगर हम एक जगह ही घूमने लग जाएँ तो कुछ देर बाद चक्कर आने लगते हैं और गिरने की संभावना हो जाती है। ऐसे हम बचपन में किया करते थे और फिर कुछ देर बाद चक्कर खा कर गिरने लगते थे, हमारे लिए यह एक बचपन की खेल ही थी लेकिन अब हमारे सामने एक कलाकार डांस फ्लोर पर घूमे जा रहा था और बिलकुल गिरता नहीं था। वोह कैसे कर रहा था, मैं बहुत धियान से उसे देख रहा था। घुमते हुए जब वोह एक चक्र कम्प्लीट करता तो सर को एक झटका सा देता। ऐसा वोह हर चक्र के बाद करता था। कोई पांच मिंट घुमते घुमते उस का घागरा ऊपर उठने लगा जो एक छतरी जैसा बनने लगा। उस का सारा ऐक्ट और आर्ट इस घागरे में ही छिपा था। धीरे धीरे और ऊपर उठने लगा और इस के डिज़ाइन बनने लगे। यह डिज़ाइन बहुत ही सुन्दर दिखाई देने लगे। सब लोग साँसें रोक कर बड़े धियान से देख रहे थे। मुख़्तसर लिखूं, उस ने कोई आधा घंटा डांस किया और एक जगह ही घूमता रहा, उस का घागरा जिस का नाम तो मुझे पता नहीं लेकिन ऊंचा, और ऊंचा हुए जा रहा था और आखर में वोह यह घागरा अपने हाथों से पकड़ कर बिलकुल ऊपर छत के करीब ले आया। अब जोर जोर से सबी तालियां बजाने लगे। यह घागरा खुल कर एक फ़्लैट कपडा बन गया था जो गोल दायरे में छतरी जैसा घूम रहा था।
जब यह लड़का एक झटके के साथ एक दम खड़ा हो गया और झुक कर शुक्रिया अदा करने लगा, तो बिलकुल सथिर था, ज़रा भी डोल नहीं रहा था। यह ऐक्ट भी हम ने ज़िन्दगी में पहली दफा देखा था। यह भी एक अभुल याद बन कर रह गई है। रात के शायद दो अढ़ाई बज गए होंगे और सब उठ उठ कर अपनी अपनी खुआवगाह की तरफ जाने लगे। कल को अरेबियन नाइट थी और अब हम कल का इंतज़ार करते करते सो गए। चलता. . . . . . . . . .