अजकर करे न चाकरी – भाग 2
सोमनाथ ने चैन की साँस ली जब दोनों गांव में पहुंच गए। “भाई कालू! मैं उत्तर दिशा में जाता हूँ
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Read Moreकालू चारपाई पर लेटा-लेटा सोच रहा था, जी हाँ सोच रहा था। कालूराम सोचते भी हैं ये बात वो खुद
Read Moreफुफड़ जी तो चले गए थे और साथ ही सब रिश्तेदार और सुरिंदर भी अपने अपने घरों को रवाना हो
Read Moreमैं प्रारंभ में अपने ब्लॉग पर गाँधी और नेहरू की देशघातक नीतियों के बारे में अधिक लिखा करता था. ऐसे
Read More“क्या कटीली लगती है यार! कसम से दिल आ गया है हमारा तो इस पर ” प्रदीप ने आह भरते
Read Moreप्रारंभ में मैंअपने ब्लॉग पर मुख्यतः गाँधी और नेहरु के बारे में ही लेख लिखा करता था. लेकिन कभी कभी
Read Moreआज 14 अप्रैल है और आज मैं 73 वर्ष का बूढ़ा हो गया हूँ। यह दिन मेरे लिए मेरे जनम
Read Moreकुछ घंटे की खुशी।पुरुष की समानता, धार्मिक स्थल पर प्रवेश के केस जीतने की। भरभरा कर ढह गयी। सामने एक
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