कहानी : तृप्ति
कितनी गहमागहमी है हर तरफ़। हर कोई अपनी ही धुन में, किसी भी दिशा में भागता हुआ सा। स्टोव की
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Read Moreसुरिंदर की सगाई सतपाल से हो गई थी। सतपाल अच्छा लड़का था लेकिन उस का डैडी मगरूर किसम का आदमी
Read Moreकुलवंत की बुआ की लड़की की शादी कैसे हुई , मुझ को और फुफड़ को कुछ नहीं पता क्योंकि सारी
Read Moreरोज-रोज, सुबह ही सुबह, जोर-जोर से बाँग देकर पुरे गाँव को जगाने वाला मुर्ग़ा दो दिन से न दिखाई
Read More12 मार्च 2016 को बुआ निंदी और निंदी की पत्नी कुलजीत आये थे और उन के आते ही सारे घर
Read More“अरे भाई भोलानाथ कँहा चल दिए इतनी जल्दी में ?” नत्थू ने एक हाथ में रोटी का टिफन दूसरे हाथ
Read Moreहंसते खेलते बंटी के बचपन पर तो जैसे कभी खत्म न होने वाले दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। पिता
Read Moreहमारे नए घर में सब से पहले बुआ फुफड़, उन के तीनों बच्चे जिन्दी निंदी और उन की बहन सुरिंदर
Read Moreनेरुल में जानकी ने समुद्र के किनारे कम्पनी के चार कमरों वाले फ्लेट को अपनी इच्छानुसार व्यवस्थित रूप से सजा
Read Moreमानस पटल पर महाभारत काल की घटना याद आती है जब गुरु द्रोणाचार्य ने उपेक्षित जाति के एकलव्य के हाथ
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