लघु कथा : सही सोच
चारों अभी भी पक्के दोस्त थे।बचपन से ही सहपाठी रहें हैं ,इससे स्टेटस की भिन्नता के बावजूद मित्रता बरकरार थी।
Read Moreचारों अभी भी पक्के दोस्त थे।बचपन से ही सहपाठी रहें हैं ,इससे स्टेटस की भिन्नता के बावजूद मित्रता बरकरार थी।
Read Moreओह! …ब्यूटीफुल! कितना खूबसूरत नजारा है , ऐसा लगता है जैसे मैं किसी और लोक में पहुँच गई हूँ ”
Read Moreलघुकथा- वही सपना बरसों बाद मिले तो याद आया कि जवानी में जातपात की वजह से विवाह नहीं कर सके
Read Moreइंगलैंड में हालात कैसे भी रहे हों, हमारे लोग अपनी धुन में मस्त, सख्त काम करते ही रहे. उस समय
Read Moreआज जो कदम मैं उठाने जा रही हूँ शायद उसके पीछे अपने पापा के लिए बचपन से दबे मेरे रोष
Read Moreकरुणावती पत्रिका के लिए जब राशि देने का समय आया तो दुविधा ये हुई कि मैं रहती पटना में हूँ …. पैसा
Read Moreइन गुरुओं को मिल कर मैं हैरान था कि इतनी लूट वोह भी बड़ी इज़त के साथ हो रही थी।
Read Moreभलमनसाहत मई की एक दोपहर और लखनऊ की उमस | भारी भीड़ के चलते वह बस में जैसे तैसे चढ़
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