ख़ास दफ्तरों की आम कथा 2
हमेशा की तरह दूसरे दिन भी मुल्ला नसरुद्दीन अपने दफ्तर में रात को पहरा दे रहे थे, अचानक दफ्तर प्रमुख
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Read Moreवीरू तेजा, उम्र पच्चीस के आसपास, स्टाइलिस अपने बैड पर लेटा हुआ था वह इधर-उधर करवट बदल रहा था इससे
Read Moreसाहित्यकारों के सम्मान लौटाने की होड़ मची हुई थी | थोड़ा हो हल्ला हुआ | एक दूजे को गलत साबित
Read Moreमुल्ला नसरुद्दीन अपने दफ्तर में रात को पहरा दे रहे थे, अचानक दफ्तर प्रमुख के कक्ष से जोर जोर से
Read Moreडिटेक्टीव समीर और उसके कुछ साथी कैफे में बैठे हुए थे तथा किसी गंभीर समस्या पर बात कर रहे थे
Read Moreन्यायिक मजिस्ट्रेट प्रतीक शर्मा के बेटे के जन्मदिन का अवसर था। जाहिर सी बात है मेहमानो को तो निमन्त्रित करना ही
Read More13 अप्रैल को मेरे मामा जी और सारा परिवार आ गिया था , कुछ देर बाद मासी जी और उन
Read More“वो तीन बच्चे देख रहे हो…” “हाँ…” “इनमें से एक बच्चा शायद अधिक सक्षम है, वो कागज़ लेकर आया था,
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