प्रौढ़ साक्षरता अभियान के तहत कस्बे में शुरू की गई रात्रि पाठशाला में आई कुछ प्रौढ़ महिलाएं शिक्षा ग्रहण कर रही थीं। कक्षा अध्यापिका श्रीमती गीता जी ने मानव सभ्यता के क्रमिक विकास के बारे में महिलाओं को समझाते हुए कहा, “जैसा कि हम जानते हैं, आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। मानव सभ्यता के […]
लघुकथा
लघुकथा – रंग रूप
रेनू का रंग रूप देखने में अच्छा नहीं था लेकिन वो पढ़ने में होशियार होने के साथ साथ एक्टिंग अच्छी करती थी| स्कूल में जब भी प्रोग्राम होते है वह उसमें हिस्सा लेती थी| एक बार उनके स्कूल में फिल्मों के डायरेक्टर को चीफ गेस्ट के तौर पर बुलाया और बोले ” तुम फिल्मों में […]
पेंडिंग
इसे सुविधा शुल्क कहें, कमीशनखोरी, उत्कोच या पहिया, है तो यह रिश्वत ही! यों तो रिश्वत लेना और देना दोनों ही कानूनी अपराध हैं, पर यह मानता ही कौन है! पहिये के बिना गाड़ी नहीं चलती, रिश्वत के बिना फाइल! कोई भी काम बनाना हो, चलाओ रिश्वत! तनु का प्रोमोशन का केस पेंडिंग था. अभी […]
मंदिर की उदासी
बुजुर्ग महिला सरिता जी के लिए कोरोना नामुराद रोग सिद्ध हुआ. लाखों-करोड़ों लोग ठीक हो गए, पर सरिता जी का दुर्भाग्य ही कहिए, उनके पतिदेव कोरोना को हरा न सके. हंसती-हंसाती सरिता जी के जीवन में शून्यता आ गई. यही शून्यता उनके लिए मौन और उदासी का कारण बन गई. सरिता जी ही नहीं, उनकी […]
विडंबना
”आज घर में मौन क्यों है?” घर का मौन सुरेंद्र को खाए जा रहा था. इसी मौन के लिए वह पिछले बीस सालों से तरस रहा था! मौन मिलता भी कैसे! बीस साल पहले शुभा से उसकी शादी हुई थी. तब से सुबह उठता तो रसोईघर की खटर-पटर, कभी कपड़े धोने की आवाजें, कभी डाइनिंग […]
उम्मीद के सितारे
आज अंगेश का 25वां जन्मदिन था. इसी अवसर पर धूमधाम से उसकी शादी की तैयारियां हो गई थीं. वैसे तो अब गांव बहुत उन्नत हो गया था, पर प्राचीन सांस्कृतिक-सामाजिक परंपराओं को उसने आज भी बरकरार रखा था. पूरी तरह से शाकाहारी भोजन व मिठाइयों का प्रबंध हो गया था. होली के मनभावन दिन चल […]
खुशी वाली “की”
कितना खूबसूरत जीवन था उसका. खुशियों से वह चहकती-महकती रहती थी और अपने घर-परिवार, संगी-साथियों को भी चहकाती-महकाती रहती थी. बहुत प्यार करने वाला पति, मान-सम्मान देने वाले बहू-बेटे, हर सुविधा से संपन्न उसका घर-परिवार, किसी चीज की कमी नहीं, खुशी के लिए इससे ज्यादा चाहिए भी क्या! अब भी सब कुछ वैसा ही था, […]
लघुकथा – एमर्जेंसी ड्यूटी
यह इत्तफ़ाक ही था कि जिस दिन उसे सावधि जमा योजना के पैसे मिले, उसी दिन गाँव से पिताजी का तार आया- ‘‘तुम्हारी माँ की हालत बहुत खराब है, अच्छा होगा कि उसे इलाज के लिए शहर ले जाओ।’’ वह सोच ही रहा था कि पत्नी ने कहा- ‘‘देखो जी अब तो कुछ पैसे इकट्ठे […]
तलाकशुदा
‘ऐ जी !’’ ‘‘हूँ।’’ ‘‘आपसे एक जरूरी बात करनी है। डरती हूँ कहीं आप बुरा न मान जाएं।’’ ‘‘ऐसी कौन सी बात है।’’ ‘‘आप मुझे तलाक दे दीजिए।’’ ‘‘क्या बक रही हो ! तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है।’’ ‘‘आप तो खामखाँ नाराज हो रहे हैं जी। आपकी तो नौकरी मिलने की उम्र […]
इच्छाओं का अंत
कुछ ही दिनों में महेन्द्र फर्श से अर्श पर पहुँच गया। इसका कारण तारी के लड़के सुरिंदर के साथ अवैध गतिविधियों में संलिप्त होना था । पहले महेंद्र और सुरिंदर कार रिपेयरिंग का काम करते थे। दोनों का काम दिन-ब-दिन बढ़ने लगा। लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें चिट्टे के नशे की लत लग गई। उनका काम-धन्धा […]