नत मस्तक
रमाकान्त एक रिटायर्ड प्रो.थे । उनकी शुरू से आदत थी कि सुबह वह टहल कर आते और हरिया की दुकान
Read Moreएक छोटी सी पहल… जिसने जिंदगी बदल दी रमा और रूचित की बेटी रूचि होनहार, बुध्दिमान विद्यार्थीनी थी प्रशाला की।
Read Moreमाँ तो नहीं रही, लेकिन हाँ माँ के नाम कुछ बीमा था, बैंक बैलेंस भी था, क्योंकि माँ गवर्नमेंट कॉलेज
Read More“प्रिया, मैं शाम को देर से आऊंगा।” ” हम सब मित्र आज फ्रेंडशिप डे मना रहे हैं।” ” मैं भी
Read More“कंक्रीट जंगल में कैसे रहें? कैसे लहलहायेगी मेरी डालियां?” ” न तो देखभाल करने के लिए किसी के पास समय
Read Moreना जाने मेरे हृदय में क्या होता है, मैं खिंची चली जाती हूँ,जहाँ भी मेरे प्रिय फुल हरसिंगार की खुशबू
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