कहानी

पछतावा 

आज पूरी कोलोनी मे आरती का नाम ही सबकी जुबान पर था | पूरी कोलोनी मे आरती ही आरती छाई हुई थी | जैसे सबको टाइम पास का अच्छा-खासा मसाला मिल गया हो | बहुत दिनों से लोग आपस मे काना-फूसी कर रहे थे,पर आज तो ये बात आरती और उसके पति निशांत के कानो […]

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कहानी : रोज की तरह

उसकी खौफनाक आँखेँ, जिसकी सफेद परतोँ पर अक्सर लाल रक्त धमनियां दिखती थीँ, अंदर धँसी हुयीँ। जिनका भौहोँ के साथ कोई संबंध नही समझ आता था। उसका रंग साँवला था, उसके बाल अधकटे और बिखरे छोटे छोटे थे मटमैले, वो काले कपडे पहनता था हमेशा और एक लंबा सा कोर्ट। कुछ 30 या 35 साल […]

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कहानी : एक छाया (स्वप्न कथा)

सपने मे मैने देखा एक बहुत खूबसूरत लडकी जिससे मैँ प्यार करता हूँ उसका भाई फिल्म डार्कनाइट के जोकर जैसा है फर्क इतना है कि उसका चेहरा काला था, उसकी आँखेँ गहरी थीँ और वो चीखते हुए हीहीही करके हँसता था। मैँ और वो लडकी एक ही साथ पढते थे। शायद वो मैँ था या […]

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अंजान रिश्ता…

गर्मियों के मध्य की एक गर्म सुबह, अपनी अगली कहानी के लिए एक नए शीर्षक और भूमिका की तलाश में हर सुबह की भाँती एक बार फिर घर से निकल पड़ा एक नवयुवक, जिसने शायद अभी-अभी लिखने की शुरुआत की है. वह लिखने के लिए ऐसे विषयों का चुनाव कर रहा है, जिसमें समाज की […]

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कहानी : गर्व अपनों पर…

उमाकांत जी आज बहुत परेशान थे कारण, अपने दोस्त से जो आज सुना उसे वो अपने दिमाग से भरसक प्रयास करने पर भी नहीं निकाल पाए है|  ”जाओ आप! ,यहाँ से कहीं, तो हम चैन से जिये,कब तक आपको झेलते रहेंगे | प्रेम शंकर की बहु ने उसे और भाभी जी को कहा | वैसे […]

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रिश्तों का कत्ल

एक शहर में जूतों की एक मशहूर दूकान थी , दीना नाथ  जो उस शहर में नया था ,उस दूकान की चकाकौंध  देख कर जूते खरीदने के लिए दूकान में दाखिल हुआ |वहां पर बहुत सारे ग्राहक बेठे हुए थे तभी उस दूकान का मालिक अपनी सख़्त आवाज़ में किसी को पुकारते हुए बोला “ […]

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कहानी : स्त्रीत्व मरता कब है

नक्सली लड़कियां जंगलो में भटक भटक थकान से टूट चुकी थी थोड़ा आराम चाहती थी. तभी संगीत की मधुर आवाज सुन ठिठक गयी| ना चाहते हुए भी वे मधुर आवाज की ओर खींचती चली गयी| गाने की मधुर आवाज की ओर बढ़ते बढ़ते वह गाँव के बीचोबीच आ पहुंची. एक सुरक्षित टीले पर चढ़ कुछ […]

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कहानी : मुश्किल फैसला

निशा ने राहुल को स्कूल के लिये तैयार किया और उसका लंच बॉक्स उसे दिया | राजेश को भी आज जल्दी निकलना था, उनका भी लंच बॉक्स तैयार किया और निशा ने उन दोनों को विदा किया | घर का सारा काम खत्म करते -करते आधा दिन खत्म हो गया | अब निशा थोड़ी देर […]

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कहानी : अधूरे ख्वाब

नेहा के पास जीने का कोई मकसद नहीं रहा, बस जी रही थी, क्युकि मरना उसके लिए इतना आसान नहीं था | एक के बाद एक समस्याओ से उसका जीवन घिरा रहता था| पता नहीं वो कैसे ये सब बर्दाश्त कर लेती थी |या फिर इसके आलावा और कोई रास्ता ही नहीं बचा था उसकी […]

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जिंदगी छोटी पड़ गई

कहानी थोड़ी पुरानी है …… एक परिवार में माँ और तीन बच्चे(दो पुत्र और एक पुत्री) थे. तीनों बच्चे छोटे छोटे थे तभी पिता की मृत्यु हो गई थी। … सबसे छोटी पुत्री को अपने पिता की छवि याद भी नहीं थी। ….परिवार में आमदनी का स्रोत्र खेती था. जिंदगी सुचारु रूप से चल रही थी. लेकिन जब बच्चे […]