कालू उस्ताद
“कालू उस्ताद! कालू उस्ताद …” बेदम हाँफते हुए फुदरु ने कालू उस्ताद के पास आते हुए कहा । ” कालू
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Read Moreकितना जादू है उसकी कहानियों में, कवितायों में। जब भी पड़ती है वो उसकी कोई भी रचना न जाने क्यों
Read Moreकाफी देर से मोबाइल रिंग कर रहा था जल्दी से काम छोड़कर मैंने जैसे ही मोवाइल उठाया उधर से नेहा
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Read Moreझुन्झुलाते हुए निमिषा ने फ़ोन बिस्तर पर पटक दिया और बुदबुदाने लगी- “कितना बिजी रहते हैं आप ? मेरे लिए तो फुर्सत
Read Moreकभी -कभी रिश्तों में अलगाव की वजह, इतनी छोटी सी बात से हो जाती है कि समय के साथ -साथ
Read Moreपरियों, तितली, राजा-रानी की कथाएँ कभी पुरानी होती है क्या-कभी नहीं जब सुनो तब नई। एक जमाने में बुझोपुर में
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