विधाता छ्न्द : राखी
मापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बहन का प्यार है राखी जहाँ नित मर्म कहता है लगाया प्राण की बाजी हुमायूँ
Read Moreमापनी -१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ बहन का प्यार है राखी जहाँ नित मर्म कहता है लगाया प्राण की बाजी हुमायूँ
Read Moreअमर वीरता कुर्बानी, देश हुआ आजाद प्रतिपल ताजी याद में, सीमा है आबाद सीमा है आबाद, सिपाही सीना ताने हर
Read Moreमन को मरोड़ तोड़, विषयों को पीछे छोड़, मन को बनाके दास, मन पर राज कर | मन सदा भरमावें,
Read Moreघन -घन गरजत, कारे मेघ बरसत, जियरा में बहुतहि ,अगन लगावै है दम -दम दमकत, चंचल बिजुरिया जो, तडपत मनुआं
Read Moreनाचत, गावत शोर मचावत, बाजत सावन में मुरली है भोर भयो चित चोर गयो भरि, चाहत मोहन ने हर ली
Read Moreसफ़र में सफर की चिंता करने से क्या बात बनेगी? छाले पड़ेंगे, बढ़ेंगे, फूटेंगे और फिर ठीक भी हो जाएंगे.
Read Moreकाट डालो जड़ उस, वृक्ष की हवाओ में जो देश की नफ़रतों के ज़हर को घोलता आपस में लड़ रहे,
Read More“कुण्डलियाँ” मिलकर दोनों लूटते, साहुकार सरकार बिल्डिंग उगती खेत में, चला खूब व्यापार चला खूब व्यापार, मिले बिल्डर अरु नेता
Read Moreविधा — वाचिक राधा छन्द, मापनी —2122 2122 2122 2 फिर चली है आज आँधी, जुल्फ लहराई। हुश्न हाबी हो
Read Moreमन मयूर चंचल हुआ, ढ़फली आई हाथ प्रेम प्रिया धुन रागिनी, नाचे गाए साथ नाचे गाए साथ, अलौकिक छवि सुंदरता
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