गीतिका
दुनिया ये बदल रही है, दृढ़ टूटते किले हैं।उलटा जमाना आया, कैसे ये सिलसिले हैं।। अपना हो उल्लू सीधा,फिर कौन
Read Moreख़ामोश थी तन्हाई मेरी बुझा जख़्म दुखाया आपने।इश्क कहूॅं या मुहब्बत कहूॅं कैसा रोग लगाया आपने।। बैचेन रहा दिल यह
Read Moreभोर सुनहरी नित आती है,नव राहों को दे जाती है। सूरज की किरणों के सँग में,सपन सुहाने बरसाती है। जीवन
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