ग़ज़ल
ओस क्यूँ बिखरी हुई है घास पर?कौन यह रोता रहा है रात भर? अब नहीं दिखती रहम की बानगी,आदमी होने
Read Moreअपने हुनर में कोई जान तो वो रखते होंगेसीमा पर दुश्मनों से ऐसे ही नहीं लड़ते होंगेक़ुर्बानियों का सिला क्या
Read Moreजागा बाग महकती कलियाँ।सावन आया झूलें सखियाँ।। गातीं कजरी गीत मल्हारें,मधुर – मधुर करतीं नित बतियाँ। झड़ी लगी पावस की
Read Moreख़ामोशियों के अनकहे, अल्फाज़ हो तुम्ही।तनहाईयों में गूंजती,आवाज हो तुम्हीं । आते हो दबे पांव,छुपके फिर भी,जाने क्यूं,दिल से गुज़रती
Read Moreयूँ वक्त बेवक्त बेसबब न पूछा करो।हम से हर बात का मतलब न पूछा करो। गुनाहगार छूटे,बेगुनाह को मिली सजा,अजी
Read Moreमेरे दिल की गहराईयों में उतर गया तेरा चहरा।नज़्मों व ग़ज़लों की जान बन गया तेरा चहरा। ये तेरी रेशमी
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