ग़ज़ल
किसलिए हर्ज है,आपका फर्ज़ है। आप ख़ुद आएं हैं,आपकी गर्ज है। इक मुकदमा यहां,आप पर दर्ज़ है। आप सुन लिजीये,इक
Read Moreकहाँ हैं वो जो कहते थे, उजाले बाँट देंगे,यहाँ तो चीखते सपने, अंधेरे काट देंगे। किताबें हैं मगर उर्दू-संस्कृत की
Read Moreतेरे बग़ैर ये दिल सुना-सुना सा लगता है,हर एक लम्हा जैसे अधूरा अधूरा सा लगता है। तेरी बातें हवा से
Read Moreबिछड़ने का गम साफ़ था उसकी नज़रों में ,मुझसे कह रहा था कि मैं बेक़रार थोड़ी हूं । तमाम उम्र
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