ग़ज़ल
जहाँ मौत के बाद के सपने बेचे जाते हैवो किस्से यहाँ मजहब कहलाए जाते है। जीते जी दो घूट भी
Read Moreजलती सहर सुलगती हुई रात दे गया,बे दर्द एक शख़्स ये सौगात दे गया। इस बार आगे बढ़कर सलाम उसने
Read Moreजी में आता है के अब तर्क मुहब्ब्त कर दूंख़त तेरे सारे ही, हवाओं के हवाले कर दूं तकाज़ा ए
Read Moreबाद मुद्दतों के आज उनसे मुलाकात हुई।दिल जोर से धड़का दर्द उभर फिर आए।फसले गुल फसले बहार उफ मेरे अल्लाह।ये
Read Moreकरता कोई असर नहीं कोई भी जब दवाबस एक दुआ ही काम आजार में आवे जीवन मिला जिसे बड़ भाग्य
Read Moreसइयां अब तो हैं कोतवाल, वाह भाई वाह,उछल रहे सब नटवरलाल, वाह भाई वाह। हरिश्चंद्र के पूत बने थे जो
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