ग़ज़ल
मुस्कुराकर दिखाइए साहब।ज़र्फ़ को आज़माइए साहब। रौशनी को बढ़ाइए साहब।अब ज़रा मुस्कुराइए साहब। गति रनों की बढ़ाइए साहब।एक छक्का लगाइए
Read Moreजिंदगी को सही मायने में जिंदगी बनाने के लिए,रिश्तों का गणित समझ में आना बेहद जरूरी है! रिश्तों की पाठशाला
Read Moreसब्र करते करते कितने ही बरस बीत गए।आज़ाद हैं हम ! गाए कितने ही गीत गए। लहू देख अपनों का…
Read Moreहम हो गए हैं नाटक के किरदार की तरहपढ़ते हैं लोग हमको भी अखबार की तरह बजती नहीं है तालियां
Read Moreतुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमकोतुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा तुमसे दूर रह करके
Read Moreहै बहुत कुछ पास मेरे, पर मेरा कुछ भी नही,मेरा मेरा सब करें, पर साथ जाता कुछ भी नहीं।मृगतृष्णा में
Read More