ग़ज़ल
कल की चिंता आज नहीं,अंत है ये आग़ाज़ नहीं। फ़ितरत है शीशे जैसी,अपने दिल में राज़ नहीं। माँ, बाबा की
Read Moreयाद मुझकों मोहब्बत के वो ज़माने आएआज हाथों में मेरे, ख़त वो तेरे पुराने आएहम न होंगे तो फिर किससे
Read Moreझलक एक दे दो चले जायेंगेंइन कूंचो में फिर ना हम आएंगे आखिरी एक सावन बरस जाने दोबस यूँ ही
Read Moreकुछ खोकर कुछ पाकर जाना, जीवन क्या हैदु:ख से हाथ मिलाकर जाना, जीवन क्या है चलते – चलते शाम हो
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