ग़ज़ल
बोल क्या मैं करूँ तुम्हारी ख़ुशी के लिए शमां बनकर जलती हूँ रोशनी के लिए। ये शिकायत नहीँ है दर्द
Read Moreकिस ज़माने की बात करते हो रिश्तें निभाने की बात करते हो अहसान ज़माने का है यार मुझ पर क्यों
Read Moreकाफिया- अर, रदीफ़- जाते , वज्न- 1222 1222 1222 1222 बहुत अब हो गई बातें, बहुत अरमान शुभ रातें विवसता
Read Moreबहरे ख़फ़ीफ़ मुसद्दस् मख़बून फाइलातुन मुफाइलुन् फेलुन 2122 1212 22 उन अदाओं में तिश्नगी होगी । कोई खुशबू
Read Moreअपने माथे पे बना बिंदियाँ सजा ले मुझको चाहतों के तु समन्दर में डुबा ले मुझको दूर रहकर मैं
Read Moreहिंदुस्तान वतन है मेरा और हिंदी मेरी मातृ भाषा, गुणगान करें सब हिंदी का बस यही है अभिलाषा। जन जन
Read Moreकैसा यह त्यौहार हुआ, हिन्दू खुद शर्मसार हुआ। खंडित हुई सारी मूर्तियाँ, आस्था पर ये प्रहार हुआ। कोसते थे औरों
Read Moreमुहब्बत से ही हर तरफ़ रोशनी है ग़ज़ा-ओ-ख़ुशूमत फ़क़त ज़ाहिली है जो चालाक ठहरे वो बचकर निकलते तक़ाज़ों पे हरदम
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