ग़ज़ल : रह गया
कोई झूठ में यहां, कोई बहाने में रह गया, मैं तन्हा सच बोलकर ज़माने में रह गया! राहें मुहब्बत में
Read Moreकोई झूठ में यहां, कोई बहाने में रह गया, मैं तन्हा सच बोलकर ज़माने में रह गया! राहें मुहब्बत में
Read Moreकभी दरिया कभी कश्ती कभी पतवार का मसला अजब ही हाल है ऐ जिन्दगी संसार का मसला ग़ज़ल के वास्ते
Read Moreकि जाते जाते जायेगी, यहाँ से जान सुन लो तुम | न कोई काम आएगी, वहां पहचान सुन लो तुम
Read Moreइतना न लो इम्तिहान सब्र खो जाता है के मुझे कभी कभी रोना भी आता है खेल लगता है तुम्हे
Read Moreकभी लौ का इधर जाना , कभी लौ का उधर जाना दिये का खेल है तूफ़ान से अक्सर गुज़र जाना।
Read Moreठग गया विश्वास फिर से क्या कहूँ मैं क्या हुआ। फिर मुझे लगता है मेरे साथ इक धोखा हुआ। बेच
Read Moreनज़रों की खता है न तिरी न मोरी | बंधन प्रीत की है नहीं कोई चोरी | ना मैं तोड़
Read Moreकुछ बीज प्रेम के बो जाऊँगी मर कर भी अमर मैं हो जाऊँगी बैठ गया यदि मैल हृदय में अपने
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