गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : जाते जाते जाएगी हमारी जान

कि जाते जाते जायेगी, यहाँ से जान सुन लो तुम |
न कोई काम आएगी, वहां पहचान सुन लो तुम ||

न पालो ऐसी ख्वाहिश को, न दिल में तुम जगह देना |
कभी पुरे नहीं होते, यहाँ अरमान सुन लो तुम ||

मुहब्बत में तेरी हमने भुलाया खुद की हस्ती को |
बने मेरी मुहब्बत से सदा अनजान सुन लो तुम ||

हुए रिश्ते यहाँ हलके, हवाएं ले उडी बातें |
करो न शोर दीवारों के, होते कान सुन लो तुम ||

न जाओ छोड़कर हमको सितारों से भरी शब् में |
तेरे जाने से जाती है हमारी जान सुन लो तुम ||

कोई मुझको सराहे क्यों, किया क्या काम है ऐसा |
नहीं अब तक कोई भी है, मेरी पहचान सुन लो तुम ||

जलाकर दिल की बस्ती को वो पूछें हाल है मेरा
सरिता दिल में रखती है दबा तूफान सुन लो तुम ||

सरिता पन्थी

बचपन से ही हिंदी साहित्य में विशेष रूचि रही है लगभग तीन वर्ष पहले ही मन के भावों को शब्दों में उकेरना प्रारम्भ किया है सामाजिक कुरीतियाँ और अवांछनीय परम्परायें ही लेखन का मुख्य विषय रहे है लेखन में सदा ही समाज को परिवर्तन का सार्थक सन्देश जाता रहा है | समाज के अनछुए और ज्वलंत विषयों पर लेखनी ने सदा ही प्रहार किया है | शैक्षिक योग्यता बी. ए. साहित्यिक हिंदी एम. ए. राजनीति शास्त्र, एच.एन.बी.गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रकाशित रचनाएं  काव्य पल्लवन प्रतियोगिता के छायाँ चित्र पर कविता लिखने पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त कविता "बसती दुनिया मेरी पेड़ो पर "  फिर से आई है बारी  सोते सोते रात में  चिरैया एक सोयी थी ही लेखन का मुख्य विषय रहे  कलयुगी बाबा  क्या सच में स्वतंत्र है हम ?  हाँ मैं किन्नर हूँ  तडपे है जिया ओ वैरी पिया  बहुत बुरा लगता था  पिया मोरे गये परदेश  तोड़ के बंधन बह गया ये मन पता- महेंद्रनगर , जिला कंचनपुर, नेपाल मोबाईल न. – 09779848720721 Email Id:- saritapanthi1234@gmail.com